मुंबई , 5 मई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddav Thackeray) ने मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय को दुभार्ग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा-ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण कानून को रद्द कर दिया है। हमने यहां सर्वसम्मति से इस कानून को मराठा समुदाय के स्वाभिमानपूर्ण जीवन के लिए पास किया था। अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार इस मसले पर कानून नहीं बना सकती। केवल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ऐसा कर सकते हैं।
दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा कोटा रद्द कर दिया और कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले को वृहद पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया। साथ ही अदालत ने सरकारी नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें इंदिरा साहनी के फैसले पर दोबारा विचार करने का कारण नहीं मिला।’ जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और एस जस्टिस रवींद्र भट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले पर फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मराठा समुदाय शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं, इसलिए उन्हें आरक्षण नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती। महाराष्ट्र ने आरक्षण की ये लक्ष्मण रेखा लांघ दी थी।