Delhi Pollution Control Measures : दिल्ली में अब प्रदूषण फैलाने वालों की खैर नहीं है। राजधानी की दम घोंटू हवा को देखते हुए सरकार का सब्र अब जवाब दे गया है। दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने साफ कर दिया है कि प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज को अब कोई नया नोटिस नहीं दिया जाएगा, बल्कि उन्हें सीधे सील कर दिया जाएगा। यह कार्रवाई ग्रेप-4 (GRAP-4) के तहत की जा रही है, जिसका मकसद जनता के स्वास्थ्य को बचाना है।
राजधानी में वायु प्रदूषण एक आपातकाल की तरह बन गया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चेतावनियों का दौर अब खत्म हो चुका है और अब सीधे ‘एक्शन’ का समय है। मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के अनुसार, नियमों को ताक पर रखकर हवा में जहर घोलने वालों के खिलाफ सरकार ने कमर कस ली है।
‘चेतावनी का दौर खत्म, अब सीधे ताला’
सरकार ने उन फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों की पहचान पूरी कर ली है जो लगातार प्रदूषण फैला रही हैं। मंत्री ने बताया कि इन इकाइयों को पहले सुधरने के कई मौके दिए गए और नोटिस भी भेजे गए, लेकिन उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया। अब प्रशासन और ढील देने के मूड में नहीं है।
जिन फैक्ट्रियों को चिन्हित किया गया है, उनके खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा, “हम जनता की जान और स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते। अब बिना किसी अतिरिक्त नोटिस के, सीधे ताला जड़ा जाएगा।”
सड़कों पर सघन चेकिंग: 10 हजार वाहन फेल
प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहन भी हैं, और इस मोर्चे पर भी सरकार ने बड़ा अभियान छेड़ा है। पिछले 4 दिनों के भीतर दिल्ली की सड़कों पर बड़े पैमाने पर वाहनों के ‘पोल्यूशन अंडर कंट्रोल’ (PUCC) सर्टिफिकेट की जांच की गई है। आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
कुल 21,332 वाहनों की जांच की गई, जिनमें से करीब 10,000 वाहन प्रदूषण मानकों पर खरे नहीं उतरे। यानी लगभग आधी गाड़ियां हवा खराब कर रही थीं। ऐसे सभी वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दिल्ली की सड़कों पर केवल वही गाड़ियां दौड़ें जो पर्यावरण के नियमों का पालन करती हों।
प्राइवेट कंपनियों को आखिरी अल्टीमेटम
ग्रेप-4 (GRAP-4) लागू होने के बाद वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) को लेकर जारी की गई एडवाइजरी का पालन न करने वाली प्राइवेट कंपनियों पर भी गाज गिर सकती है। मंत्री सिरसा ने बताया कि सरकार को शिकायतें मिली हैं कि कुछ निजी कंपनियां इस नियम को गंभीरता से नहीं ले रही हैं।
अगर किसी भी कंपनी के खिलाफ नियमों की अनदेखी की शिकायत सही पाई गई, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। प्रदूषण एक सामूहिक संकट है और इससे निपटने के लिए निजी क्षेत्र को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
विश्लेषण: कागजी आदेशों से आगे बढ़ती सरकार
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो, यह सरकार की रणनीति में एक बड़ा बदलाव है। अब तक प्रदूषण नियंत्रण अक्सर कागजी नोटिसों तक सीमित रह जाता था, लेकिन “बिना नोटिस सील” करने का फैसला दिखाता है कि स्थिति अब ‘रेड लाइन’ पार कर चुकी है। जब 10,000 गाड़ियां जांच में फेल हो रही हैं, तो यह सिस्टम की लापरवाही को भी उजागर करता है। यह सख्ती केवल जुर्माना लगाने के लिए नहीं, बल्कि एक ‘डिटरेंस’ (डर) पैदा करने के लिए जरूरी है ताकि लोग और इंडस्ट्री खुद ब खुद नियमों का पालन करें।
जानें पूरा मामला
हाल ही में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार चला गया था, जिसने पूरी दिल्ली को एक गैस चेंबर में बदल दिया। लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया, अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ने लगी और सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने सरकार की चुप्पी के खिलाफ जमकर विरोध और बयानबाजी की। इसी जन आक्रोश और स्वास्थ्य संकट को देखते हुए अब सरकार ने यह आक्रामक रुख अपनाया है। ग्रेप-4 के तहत लागू सख्त उपायों का अब थोड़ा असर दिखने लगा है और हवा की गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिल रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को अब बिना नोटिस सीधे सील किया जाएगा।
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पिछले 4 दिनों में जांचे गए 21,332 वाहनों में से 10,000 प्रदूषण मानकों में फेल पाए गए।
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वर्क फ्रॉम होम लागू न करने वाली प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
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यह कार्रवाई दिल्ली में लागू GRAP-4 नियमों के तहत की जा रही है।






