Puran Shah Koti Death: पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए सोमवार का दिन बेहद दुखद रहा। मशहूर सूफी गायक मास्टर सलीम के पिता और संगीत जगत के भीष्म पितामह कहे जाने वाले उस्ताद पूरण शाह कोटी का जालंधर में निधन हो गया। 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और जालंधर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज जारी था। उनके जाने से पंजाबी संगीत के एक सुनहरे युग का अंत हो गया है।
उस्ताद पूरण शाह कोटी सिर्फ मास्टर सलीम के पिता नहीं थे, बल्कि वे संगीत का एक चलता-फिरता संस्थान थे। उन्होंने हंसराज हंस, जसबीर जस्सी और बब्बू मान जैसे कई दिग्गजों को तराशकर स्टार बनाया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है और कलाकारों का उनके जालंधर स्थित आवास पर जमावड़ा शुरू हो गया है।

श्मशान घाट नहीं ले जाया जाएगा पार्थिव शरीर
पूरण शाह कोटी ने दुनिया से जाते-जाते एक आखिरी इच्छा भी जाहिर की थी। मशहूर गायक हंसराज हंस ने बताया कि उस्ताद जी की इच्छा थी कि उनके पार्थिव शरीर को श्मशान घाट न ले जाया जाए। उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार ने फैसला किया है कि उनका अंतिम संस्कार कल (23 दिसंबर) जालंधर के देओल नगर में उनके घर के पास ही किया जाएगा। यह उनके सरल और फकीरी स्वभाव को दर्शाता है, जो ताउम्र जमीन से जुड़े रहे।
हंसराज हंस और बब्बू मान को दी पहचान
पूरण शाह कोटी का संगीत की दुनिया में योगदान अमूल्य है। वे पटियाला घराने की गायकी को आम लोगों तक ले जाने वाले फनकार थे। माना जाता है कि पंजाबी सिंगर और पूर्व सांसद हंसराज हंस ने गायकी की बारीकियां उन्हीं से सीखी थीं। इसके अलावा, जसबीर जस्सी और बब्बू मान को भी शुरुआती दौर में उस्ताद पूरण शाह कोटी का ही मार्गदर्शन मिला, जिसने उन्हें मंच और पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वे शाहकोट शहर की पहचान थे और उन्होंने अपनी गायकी से इस शहर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया।
दो दिन पहले ही ली थीं दुआएं
उनके निधन पर पंजाबी गायिका गुरलेज अख्तर ने भावुक होते हुए बताया कि वह बेहद खुशकिस्मत हैं कि सिर्फ दो दिन पहले ही वे उस्ताद जी से मिलने आई थीं। उस वक्त उस्ताद जी ज्यादा बोल नहीं पा रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने गुरलेज को दुआएं दीं और उनके गानों को याद किया। गुरलेज ने कहा कि वे हमारे लिए पिता समान थे और उनके जाने से इंडस्ट्री को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।
संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति (Analysis)
एक वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर अगर इस घटना का विश्लेषण करें, तो पूरण शाह कोटी का जाना केवल एक गायक का जाना नहीं है, बल्कि ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ के एक मजबूत स्तंभ का ढह जाना है। आज के दौर में जब संगीत मशीनी होता जा रहा है, पूरण शाह कोटी ने रूहानी और सूफी संगीत की मशाल को जलाए रखा था। उन्होंने अपने बेटे मास्टर सलीम को भी उसी सांचे में ढाला। उनका निधन नई पीढ़ी के गायकों के लिए एक मार्गदर्शक खोने जैसा है, क्योंकि वे संगीत की वो किताब थे, जिसके हर पन्ने पर सुर और ताल का नायाब संगम था।
‘जानें पूरा मामला’
जालंधर के देओल नगर में रहने वाले 72 वर्षीय उस्ताद पूरण शाह कोटी पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। सोमवार को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी और उनका निधन हो गया। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार और असंख्य चाहने वालों को छोड़ गए हैं। उनके शिष्य और मशहूर गायक हंसराज हंस, बूटा मोहम्मद समेत कई कलाकार उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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मशहूर पंजाबी गायक मास्टर सलीम के पिता उस्ताद पूरण शाह कोटी का 72 वर्ष की आयु में निधन।
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हंसराज हंस, जसबीर जस्सी और बब्बू मान जैसे दिग्गजों के संगीत गुरु थे पूरण शाह कोटी।
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उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, अंतिम संस्कार श्मशान घाट में नहीं, बल्कि घर के पास होगा।
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जालंधर के देओल नगर में कल (23 दिसंबर) को उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।






