New Labour Codes 2025: देश भर के करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। अगर आप भी वेतन मिलने में देरी या छुट्टियों के नियमों से परेशान हैं, तो नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। नए नियमों के मुताबिक अब कंपनियों को हर हाल में महीने की 7 तारीख तक सैलरी देनी होगी और छुट्टियों के लिए लंबा इंतजार भी खत्म होने वाला है।
महीने की 7 तारीख तक सैलरी की गारंटी
नौकरीपेशा लोगों, खासकर अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर (Unorganized Sector) में काम करने वालों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत समय पर वेतन न मिलना रही है। अक्सर देखा गया है कि कर्मचारियों को कभी महीने की 15 तारीख को तो कभी दो महीने बाद वेतन मिलता है।
नए लेबर कोड में इस मनमानी पर लगाम लगाने की तैयारी है। नए प्रावधानों के मुताबिक, कंपनियों को अब हर महीने की 7 तारीख तक अपने कर्मचारियों को सैलरी देनी ही होगी। यह नियम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों पर लागू होने की उम्मीद है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा मिल सकेगी।
छुट्टियों के नियम में बड़ा बदलाव: अब 180 दिन में मिलेगी ‘अर्न लीव’
छुट्टियों (Leave Policy) को लेकर भी एक बहुत बड़ा और सकारात्मक बदलाव किया गया है। अभी तक के नियमों के अनुसार, किसी कर्मचारी को ‘अर्न लीव’ (Earned Leave) या छुट्टियों के पैसे पाने के लिए साल में कम से कम 240 दिन काम करना जरूरी होता था।
लेकिन नए लेबर कोड में इस सीमा को घटाकर 180 दिन कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब आप 6 महीने (180 दिन) काम करने के बाद ही अर्न लीव के लिए एलिजिबल (Eligible) हो जाएंगे। यह कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि अब उन्हें अपनी जमा छुट्टियों का फायदा उठाने के लिए साल के अंत तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
गिग वर्कर्स के लिए गेम चेंजर
आजकल हम देखते हैं कि फूड डिलीवरी हो या कैब सर्विस, हर जगह ‘गिग वर्कर्स’ (Gig Workers) की तादाद तेजी से बढ़ रही है। भारत में इनकी संख्या सालाना 20% की रफ्तार से बढ़ रही है। अक्सर ये वर्कर्स 12 से 14 घंटे काम करते हैं, लेकिन न तो इनकी जॉब सुरक्षित होती है और न ही इन्हें कोई सोशल सिक्योरिटी (Social Security) मिलती है। कंपनियां अक्सर ‘पार्टनर’ या ‘कॉन्ट्रैक्ट’ के नाम पर इन्हें पक्का रोजगार देने से बचती हैं ताकि पीएफ और ईएसआई जैसे फायदे न देने पड़ें।
नए लेबर कोड में इस पर सख्त रुख अपनाया गया है। अब अगर कोई कंपनी गिग वर्कर्स या कैजुअल वर्कर्स हायर करती है, तो उन्हें भी रेगुलर कर्मचारियों की तरह सुविधाएं और सोशल सिक्योरिटी देनी होगी। एम्प्लॉयर अब सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट की आड़ में अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं पाएंगे।
कर्मचारियों को मिला कोर्ट जाने का अधिकार
नए नियमों में कर्मचारियों और यूनियंस को और अधिक सशक्त बनाया गया है। अगर किसी एम्प्लॉई के साथ वेतन या छुट्टियों को लेकर कोई नाइंसाफी होती है, तो उसे सीधे कोर्ट जाने का अधिकार होगा। एम्प्लॉई अब अपने हक के लिए एम्प्लॉयर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकेंगे, जिससे कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी।
जानें पूरा मामला
यह पूरा बदलाव लेबर रिफॉर्म्स का हिस्सा है, जिसका मकसद बदलते हुए वर्क कल्चर में कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना है। अमेज़न (Amazon) जैसी बड़ी कंपनियों और कैब एग्रीगेटर्स के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ‘गिग इकोनॉमी’ के नाम पर वर्कर्स का शोषण न हो। यह कोड यह सुनिश्चित करेगा कि काम चाहे परमानेंट हो या कॉन्ट्रैक्ट पर, बुनियादी हक सबको समान रूप से मिलें।
मुख्य बातें (Key Points)
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Salary Deadline: कंपनियों को हर महीने की 7 तारीख तक कर्मचारियों को सैलरी देनी होगी।
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Leave Policy: अर्न लीव (Earned Leave) के लिए अब 240 दिन की जगह सिर्फ 180 दिन काम करना जरूरी होगा।
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Gig Workers Rights: गिग वर्कर्स और डिलीवरी बॉयज को भी अब रेगुलर कर्मचारियों की तरह सोशल सिक्योरिटी और सुविधाएं मिलेंगी।
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Legal Action: नियमों का पालन न होने पर कर्मचारियों को कंपनी के खिलाफ कोर्ट जाने का सीधा अधिकार मिलेगा।






