Rudraksha Benefits: अगर आप अपने बच्चे की पढ़ाई में अरुचि, याददाश्त की कमजोरी या आत्मविश्वास की कमी से चिंतित हैं, तो ज्योतिष शास्त्र में इसका समाधान रुद्राक्ष के रूप में मौजूद है। पंडित जी के अनुसार, अलग-अलग समस्याओं के लिए अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बच्चों को विशेष लाभ मिलता है और उनकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
पढ़ाई में मन लगाने के लिए: दो मुखी रुद्राक्ष
जो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते, उनके लिए ‘दो मुखी रुद्राक्ष’ (Two Mukhi Rudraksha) अत्यंत लाभकारी बताया गया है। पंडित जी के मुताबिक, इस रुद्राक्ष को लाल, सफेद या काले धागे में पिरोकर सोमवार के दिन बच्चे के गले में पहनाना चाहिए। इससे एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ाई में रुचि जागृत होती है।
याददाश्त बढ़ाने के लिए: गणेश रुद्राक्ष
कई बच्चे मेहनत तो करते हैं, लेकिन याद किया हुआ भूल जाते हैं, जिससे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। ऐसे बच्चों के लिए ‘गणेश रुद्राक्ष’ (Ganesh Rudraksha) को हरे रंग के धागे में धारण करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, अगर संभव हो तो बच्चे को ब्राह्मी औषधि का सेवन कराने से भी स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
आत्मविश्वास के लिए: तीन मुखी रुद्राक्ष
कमजोर आत्मविश्वास (Self-confidence) वाले बच्चों के लिए ‘तीन मुखी रुद्राक्ष’ (Three Mukhi Rudraksha) धारण करना फायदेमंद होता है। इसे चांदी की चेन में पहनाना सबसे उत्तम है, लेकिन अगर चांदी संभव न हो, तो काले धागे में भी धारण किया जा सकता है। यह रुद्राक्ष बच्चे के अंदर साहस और आत्मविश्वास जगाता है।
कड़ी मेहनत के बाद भी असफलता: बारह मुखी रुद्राक्ष
कुछ बच्चे या बड़े बहुत मेहनत करने के बावजूद सफलता हासिल नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में ‘बारह मुखी रुद्राक्ष’ (Twelve Mukhi Rudraksha) धारण करने की सलाह दी जाती है। यह रुद्राक्ष भाग्य को प्रबल करता है और कार्यों में सफलता दिलाता है।
शिव और राम में कोई भेद नहीं: एक पौराणिक कथा
पंडित जी ने रुद्राक्ष के महत्व के साथ-साथ शिव और विष्णु (राम) के अभिन्न संबंध पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने पद्म पुराण की एक कथा का उल्लेख किया, जिसमें भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े की रक्षा करते हुए शत्रुघ्न का सामना उज्जैन के राजा से होता है।
राजा की हार देखकर स्वयं भगवान शिव युद्ध में आ जाते हैं। लेकिन जैसे ही शत्रुघ्न के स्मरण करने पर प्रभु श्री राम वहां प्रकट होते हैं, शिव जी शस्त्र त्याग देते हैं। वे कहते हैं कि मेरे इष्ट देव के सामने मैं युद्ध नहीं कर सकता। भगवान शिव स्पष्ट करते हैं कि जो उनमें और राम में भेद समझता है, वह अज्ञानी है। शिव ही राम हैं, शिव ही कृष्ण हैं और शिव ही विष्णु हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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पढ़ाई में मन: दो मुखी रुद्राक्ष (लाल/सफेद/काले धागे में, सोमवार को)।
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याददाश्त: गणेश रुद्राक्ष (हरे धागे में) और ब्राह्मी का सेवन।
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आत्मविश्वास: तीन मुखी रुद्राक्ष (चांदी की चेन या काले धागे में)।
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सफलता: बारह मुखी रुद्राक्ष (कड़ी मेहनत के बाद भी असफल होने पर)।
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शिव-राम संबंध: शिव और राम में कोई भेद नहीं है, दोनों एक ही हैं।






