Sanchar Saathi App Mandatory: क्या आपके नए स्मार्टफोन के जरिए सरकार आप पर नजर रखने की तैयारी कर रही है? यह सवाल इन दिनों खूब चर्चा में है, जब से भारत सरकार ने मोबाइल कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने सभी नए हैंडसेट में ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) ऐप को पहले से इंस्टॉल करके ही बेचें। विपक्ष इसे निजता (Privacy) पर सीधा हमला बता रहा है, तो वहीं सरकार का तर्क है कि यह साइबर सुरक्षा (Cyber Security) के लिए बेहद जरूरी कदम है।
शुरुआती रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने आदेश दिया है कि नए फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल्ड होना चाहिए और इसे डिलीट करने या इसकी सुविधाओं को बंद करने का विकल्प नहीं होना चाहिए। इस खबर ने सियासी गलियारों से लेकर आम जनता तक में हड़कंप मचा दिया। कांग्रेस और शिवसेना जैसी विपक्षी पार्टियों ने इसे असंवैधानिक और तानाशाही करार दिया है।
क्या है ‘संचार साथी’ ऐप और यह क्या करता है?
सरकार के मुताबिक, ‘संचार साथी’ ऐप नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण टूल है। इसके जरिए आप कई जरूरी काम कर सकते हैं:
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फोन की असलियत जांचना: आईएमईआई (IMEI) नंबर डालकर पता लगाएं कि फोन असली है या नकली।
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चोरी की रिपोर्ट: अगर फोन खो जाए या चोरी हो जाए, तो उसे ब्लॉक और ट्रैक करें।
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सिम कार्ड चेक: जानें कि आपके नाम पर कितने मोबाइल सिम चल रहे हैं।
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फ्रॉड रिपोर्टिंग: संदिग्ध कॉल या मैसेज की शिकायत करें।
सरकार का दावा है कि पिछले 11 महीनों में इस ऐप की मदद से 7 लाख से ज्यादा चोरी हुए फोन बरामद किए गए हैं।
क्या ऐप जासूसी करता है? सरकार की सफाई
विवाद बढ़ने पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऐप न तो किसी की जासूसी करता है और न ही कॉल सुन सकता है। सबसे अहम बात यह है कि सिंधिया ने कहा, “यह ऐप पूरी तरह ऑप्शनल (Optional) है, मैंडेटरी (Mandatory) नहीं। अगर आप इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहते, तो रजिस्टर मत कीजिए, यह निष्क्रिय (Inactive) रहेगा। आप चाहें तो इसे डिलीट भी कर सकते हैं।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति तक सुरक्षा कवच पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे प्री-इंस्टॉल कराया जा रहा है।
विपक्ष के सवाल और प्राइवेसी की चिंता
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा सरकारी ऐप जिसे हटाया न जा सके, नागरिकों की निगरानी का जरिया बन सकता है। सोशल मीडिया पर भी लोग ऐप द्वारा मांगी जाने वाली परमिशन (कैमरा, मैसेज, कॉल लॉग आदि) को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
तकनीकी विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐप की परमिशन इसलिए जरूरी होती हैं ताकि रिपोर्टिंग के समय वह काम कर सके। जैसे कॉल रिपोर्ट करने के लिए कॉल लॉग और एसएमएस पढ़ने के लिए एसएमएस परमिशन। गूगल प्ले स्टोर पर ‘डेटा सेफ्टी’ सेक्शन में लिखा है कि यह ऐप कोई डेटा कलेक्ट नहीं करता। हालांकि, प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को लेकर चिंताएं वाजिब हैं।
बड़ी कंपनियों को निर्देश
एप्पल (Apple), सैमसंग (Samsung), ओप्पो (Oppo), वीवो (Vivo) और शाओमी (Xiaomi) जैसी दिग्गज कंपनियों को आदेश दिया गया है कि वे नए फोन में यह ऐप प्री-इंस्टॉल करें। पुराने फोन यूजर्स को भी अपडेट के जरिए इसे इंस्टॉल करने को कहा जाएगा। कंपनियों को अनुपालन के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सरकार ने नए स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य किया।
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विपक्ष ने इसे निजता का हनन और निगरानी तंत्र बताया।
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मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- ऐप जासूसी नहीं करता, इसे डिलीट किया जा सकता है।
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ऐप चोरी हुए फोन को ट्रैक करने और फर्जी सिम का पता लगाने में मदद करता है।
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एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियों को 90 दिनों में नियम लागू करने का आदेश।






