Ethiopia Volcano Ash In Delhi: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर पहले से ही दुनिया के सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन अब एक ऐसा नया और अदृश्य दुश्मन सिर पर मंडरा रहा है, जिसने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। इथियोपिया के ‘हाईली गुब्बी’ (Haile Gubbi) ज्वालामुखी से निकली जहरीली राख के कण हजारों किलोमीटर का सफर तय कर भारतीय आकाश में दाखिल हो चुके हैं।
यह महज एक मौसम की घटना नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी है। पहले से खराब हवा में अब ज्वालामुखी की राख का मिलना, हालात को बद से बदतर बना रहा है।
‘साधारण धूल नहीं, यह है जहरीला कॉकटेल’
आमतौर पर हम जिसे धूल या धुआं समझते हैं, यह ज्वालामुखी राख उससे बिल्कुल अलग और कहीं ज्यादा घातक है। यह राख चट्टानों, खनिजों और एसिडिक गैस (अम्लीय गैस) के बेहद सूक्ष्म कणों का एक जहरीला मिश्रण है।
इन कणों का आकार अक्सर 10 माइक्रोन से भी छोटा होता है। इनका आकार इतना सूक्ष्म है कि यह हमारी नाक के नेचुरल फिल्टर सिस्टम (बाल और म्यूकस) को आसानी से चकमा देकर सीधे फेफड़ों की गहराई में उतर जाते हैं। यहां तक कि ये कण आपके ब्लड फ्लो (रक्त प्रवाह) में भी घुसने की क्षमता रखते हैं, जो शरीर के लिए बेहद विनाशकारी साबित हो सकता है।
‘शरीर पर सीधा हमला: क्या हैं लक्षण?’
इस जहरीली हवा के संपर्क में आते ही शरीर प्रतिक्रिया देने लगता है। लोगों को नाक, गले और ऊपरी वायुमार्ग में तेज जलन महसूस हो सकती है। इसके अलावा सूखी खांसी, गले में खराश और सीने में भारीपन या तकलीफ जैसे लक्षण आम हैं।
अस्थमा या ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) के मरीजों के लिए यह समय बेहद कठिन है। उनमें घबराहट जैसे गंभीर लक्षण उभर सकते हैं। यहां तक कि जो लोग पूरी तरह स्वस्थ हैं, ज्यादा देर तक इस हवा में रहने पर उन्हें भी सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
‘इन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा’
यह राख हर किसी के लिए हानिकारक है, लेकिन समाज के कुछ वर्गों के लिए यह जानलेवा हो सकती है।
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बीमार लोग: अस्थमा, सीओपीडी (COPD) और फेफड़ों की अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
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हृदय रोगी: हवा में मौजूद ये कण दिल पर एक्स्ट्रा दबाव डालते हैं, जिससे हार्ट पेशेंट्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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बच्चे और बुजुर्ग: इनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर होती है और इनका रेस्पिरेटरी सिस्टम ज्यादा सेंसिटिव होता है।
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गर्भवती महिलाएं: इस प्रदूषण का भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
‘वोग (Vog): जहरीली धुंध का नया नाम’
ज्वालामुखी विस्फोट सिर्फ राख नहीं उगलते, बल्कि इसके साथ सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड और फ्लोराइड जैसी अत्यंत जहरीली गैसें भी निकलती हैं। जब सल्फर डाइऑक्साइड हवा में मौजूद नमी (Moisture) के साथ मिलती है, तो ‘वोग’ (Vog) नाम की एक जहरीली धुंध बनती है।
यह ‘वोग’ सांस की तकलीफों को कई गुना बढ़ा देता है। इन गैसों के प्रभाव से आंखों में जलन, चक्कर आना, लगातार सिर दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बेहद दुर्लभ मामलों में, क्रिस्टलीय सिलिका वाली बारीक राख ‘सिलिकोसिस’ जैसी घातक और लाइलाज बीमारी का कारण भी बन सकती है।
‘बचाव ही एकमात्र उपाय: क्या करें?’
इस नए खतरे से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सख्त उपाय सुझाए हैं:
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घर में रहें: जितना संभव हो, घर के अंदर ही रहें। बाहरी गतिविधियां (Outdoor Activities) पूरी तरह सीमित कर दें।
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खिड़कियां बंद रखें: घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें ताकि बाहरी राख अंदर न आ सके।
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मास्क का सही चुनाव: साधारण कपड़े का मास्क इस राख को रोकने में बेकार है। केवल N95, P95 या P100 ग्रेड के रेस्पिरेटर मास्क ही इन सूक्ष्म कणों को रोकने में सक्षम हैं।
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साफ-सफाई: घर के अंदर की हवा (Indoor Air Quality) को सुधारें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
मुख्य बातें (Key Points)
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इथियोपिया के ‘हाईली गुब्बी’ ज्वालामुखी की राख दिल्ली-एनसीआर के आसमान में पहुंच गई है।
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यह राख 10 माइक्रोन से छोटे कणों, खनिजों और एसिडिक गैस का जहरीला मिश्रण है।
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सल्फर डाइऑक्साइड और नमी मिलकर ‘वोग’ (Vog) बना रहे हैं, जो फेफड़ों और आंखों के लिए खतरनाक है।
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अस्थमा मरीजों, बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा जोखिम है; केवल N95 मास्क ही सुरक्षा दे सकता है।






