New Labour Code 2025: केंद्र सरकार देश के श्रम कानूनों में अब तक का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है, जो सीधे तौर पर हर नौकरीपेशा व्यक्ति की जेब, काम के घंटे और भविष्य की सुरक्षा को प्रभावित करेगा। 29 पुराने और जटिल कानूनों को खत्म कर लाए जा रहे ये चार नए ‘लेबर कोड’ न केवल आपकी ‘टेक होम सैलरी’ का गणित बदल देंगे, बल्कि ग्रेच्युटी और नौकरी की सुरक्षा के मायने भी पूरी तरह बदल देंगे।
सरकार का यह कदम आजादी के बाद श्रम सुधारों की दिशा में सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। इसका मकसद सिर्फ नियमों को बदलना नहीं, बल्कि कर्मचारी और कंपनी दोनों के लिए एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना है जो पारदर्शी और सुरक्षित हो।
‘चार नए कोड जो बदल देंगे नौकरी के नियम’
सरकार जिन नए नियमों को लागू करने की तैयारी में है, वे मुख्य रूप से चार संहिताओं (Codes) में बंटे हैं: वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा व स्वास्थ्य संहिता 2020। इन भारी-भरकम नामों से घबराने की जरूरत नहीं है, इनका सार यह है कि अब हर कामगार को एक कानूनी कवच मिलने जा रहा है।
अब तक कई सेक्टर्स में काम जुबानी वादों पर चलता था, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद हर कर्मचारी को लिखित ‘अपॉइंटमेंट लेटर’ देना अनिवार्य होगा। चाहे आप किसी फैक्ट्री में हों या किसी ऑफिस में, आपके हाथ में आपकी नौकरी का पक्का सबूत होगा।
‘हाथ में पैसा कम, लेकिन भविष्य ज्यादा सुरक्षित’
आम आदमी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसकी सैलरी पर क्या असर होगा? नए नियमों के मुताबिक, किसी भी कर्मचारी का बेसिक वेतन (Basic Salary) उसकी कुल सैलरी (CTC) का कम से कम 50% होना चाहिए। इसका सीधा गणित यह है कि अगर आपका बेसिक वेतन बढ़ेगा, तो उस पर कटने वाला पीएफ (PF) भी बढ़ जाएगा।
इसका मतलब यह हुआ कि महीने के अंत में आपके बैंक खाते में आने वाली ‘टेक होम सैलरी’ थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि पीएफ में ज्यादा पैसा कटने से आपकी भविष्य की बचत (Retirement Fund) पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो जाएगी। यानी आज की थोड़ी सी कटौती, कल का बड़ा सहारा बनेगी।
‘ग्रेच्युटी के लिए अब 5 साल का इंतजार नहीं’
नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी ग्रेच्युटी को लेकर है। अब तक ग्रेच्युटी का हकदार बनने के लिए किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल काम करना जरूरी होता था। लेकिन नए नियमों में फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों (Fixed Term Employees) के लिए यह सीमा घटाकर सिर्फ 1 साल कर दी गई है।
यह बदलाव उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं या जल्दी नौकरी बदलते हैं। अब अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा उन्हें नौकरी छोड़ने पर बहुत जल्दी मिल सकेगा।
‘गिग वर्कर्स और महिलाओं को मिला असली हक’
आज के डिजिटल दौर में लाखों लोग ओला, उबर, स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स (Gig Workers) से जुड़े हैं। अब तक इनके लिए कोई ठोस कानून नहीं था, लेकिन पहली बार इन्हें भी न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाएगा।
वहीं, महिलाओं के लिए भी रास्ता आसान किया गया है। अब वे अपनी सहमति से नाइट शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी, लेकिन शर्त यह होगी कि कंपनी को उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। साथ ही, ‘समान काम के लिए समान वेतन’ का नियम सख्ती से लागू होगा, जिससे वेतन में भेदभाव खत्म होगा।
‘कब से लागू होंगे ये नियम?’
अक्सर लोगों को लगता है कि कानून बनते ही अगले दिन से लागू हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। किसी भी नए लेबर कोड को पूरी तरह लागू करने से पहले कंपनियों को तैयारी के लिए लगभग 45 दिनों का वक्त दिया जाता है। माना जा रहा है कि नए साल से ग्रेच्युटी और अन्य अहम नियम प्रभावी हो सकते हैं।
इस दौरान कंपनियों को अपने पे-रोल सिस्टम और पॉलिसी में बड़े बदलाव करने होंगे। 40 साल से ऊपर के कर्मचारियों के लिए मुफ्त सालाना हेल्थ चेकअप और खतरनाक उद्योगों में काम करने वालों के लिए 100% सुरक्षा जैसे प्रावधान भी इसी तैयारी का हिस्सा हैं।
‘क्या है बदलाव की पूरी पृष्ठभूमि’
भारत में श्रम कानून अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक टुकड़ों में बिखरे हुए थे। कुल 29 अलग-अलग कानून होने की वजह से न तो कर्मचारियों को अपने अधिकारों का पता चलता था और न ही कंपनियां आसानी से नियमों का पालन कर पाती थीं। सरकार ने इन सभी 29 कानूनों को खत्म (Repeal) कर उन्हें सिर्फ 4 सरल ‘कोड’ में समेट दिया है। इसका लक्ष्य भारत में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ाना और साथ ही करोड़ों असंगठित कामगारों (Unorganized Workers) को सामाजिक सुरक्षा (Social Security) के दायरे में लाना है।
मुख्य बातें (Key Points)
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लिखित गारंटी: अब हर कर्मचारी को जॉइनिंग के वक्त लिखित अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य होगा।
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सैलरी स्ट्रक्चर: टेक होम सैलरी घट सकती है, लेकिन पीएफ और रिटायरमेंट फंड में बढ़ोतरी होगी।
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ग्रेच्युटी नियम: फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को अब 5 साल की जगह 1 साल की नौकरी के बाद ही ग्रेच्युटी मिलेगी।
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सबका विकास: गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और प्रवासी मजदूरों को पहली बार सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन का कानूनी अधिकार मिलेगा।






