Sheikh Hasina Bangladesh News : बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने भारत में निर्वासन के दौरान पहली बार खुलकर अपनी स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर बात की है। 78 वर्षीय हसीना ने कहा कि वह इस समय नई दिल्ली (New Delhi) में “पूरी आज़ादी के साथ लेकिन सतर्कता के साथ” रह रही हैं। पिछले साल ढाका (Dhaka) में हिंसक प्रदर्शनों के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ली थी।
सत्ता से बेदखली और नई ज़िंदगी दिल्ली में
शेख हसीना ने बताया कि अगस्त 2024 में जब ढाका में हिंसा फैली और भीड़ उनके आवास के बाहर पहुंच गई, तब वह हेलिकॉप्टर से भारत आ गईं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उन्हें सुरक्षा मिली है, लेकिन अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) और भाइयों की 1975 में हुई हत्या की याद आज भी उन्हें सताती है। हसीना ने कहा, “मैं दिल्ली में सुरक्षित हूं, मगर मेरे देश के लिए चिंता हर दिन बनी रहती है।”
अवामी लीग की राजनीति पर बयान
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी अवामी लीग (Awami League) चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में, वह बांग्लादेश की राजनीति से कभी गायब नहीं होगी। उन्होंने कहा, “मुद्दा मेरे परिवार या मेरे सत्ता में लौटने का नहीं, बल्कि बांग्लादेश में संविधान और लोकतंत्र की बहाली का है।”
हसीना ने यह भी जोड़ा कि देश का भविष्य किसी एक व्यक्ति या परिवार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता — “राजनीतिक स्थिरता और वैध सरकार ही असली समाधान हैं।”
‘घर लौटना चाहती हूं, पर शर्तों के साथ’
हसीना ने कहा कि वह बांग्लादेश लौटने की इच्छुक हैं, लेकिन तभी जब वहां की सरकार “वैध” हो, संविधान का पालन करे और कानून-व्यवस्था बहाल हो। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर 2026 के चुनाव में अवामी लीग को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई, तो करोड़ों समर्थक चुनाव का बहिष्कार करेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, और किसी भी पार्टी को प्रतिबंधित करना देश के लिए नुकसानदायक है।”
यूनुस सरकार का चुनावी वादा
हसीना ने यूनुस सरकार (Yunus Government) पर भी टिप्पणी की, जिसने फरवरी 2026 में चुनाव कराने का वादा किया है। हालांकि, अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और युद्ध अपराधों के आरोपों के आधार पर अवामी लीग की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है। मई 2025 में चुनाव आयोग ने पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी निलंबित कर दिया था।
हसीना ने कहा, “हम अपने समर्थकों से किसी और पार्टी को वोट देने को नहीं कहेंगे। हमें उम्मीद है कि सरकार समझदारी दिखाएगी और हमें खुद चुनाव लड़ने देगी।”
आपराधिक आरोपों पर प्रतिक्रिया
हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने 2024 के छात्र प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में उनकी भूमिका की जांच पूरी कर ली है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 15 जुलाई से 5 अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि हसीना ने सुरक्षा बलों को बल प्रयोग के आदेश दिए थे।
हसीना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह राजनीतिक प्रतिशोध है, और ये तथाकथित ‘कंगारू अदालतें’ पहले से तय फैसले करती हैं।” उन्होंने कहा कि उन्हें न तो उचित सूचना दी गई और न ही अपना बचाव करने का मौका।
1975 में अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद शेख हसीना ने निर्वासन में रहते हुए वर्षों तक बांग्लादेश की लोकतांत्रिक राजनीति को पुनर्जीवित किया। 2009 से लेकर 2024 तक लगातार प्रधानमंत्री रहीं हसीना को मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। अब वह भारत में रहकर अपनी पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर नज़र रखे हुए हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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शेख हसीना इस समय नई दिल्ली में निर्वासन में रह रही हैं।
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उन्होंने कहा, घर तभी लौटेंगी जब बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार बहाल होगी।
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2026 के चुनाव से पहले अवामी लीग पर लगे बैन को लेकर नाराज़गी जताई।
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अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया।






