PSB Foreign Investment : भारत के सरकारी बैंकों (PSBs) को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। केंद्र सरकार इन बैंकों में विदेशी निवेश के दरवाजे और चौड़े करने की तैयारी में है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों में विदेशी निवेश की मौजूदा 20% की सीमा को बढ़ाकर 49% करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है।
सरकार और RBI के बीच मंथन जारी
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह प्रस्ताव अभी शुरुआती चरण में है और पिछले कुछ महीनों से वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच इस पर गहन चर्चा चल रही है। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन यह कदम बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव का संकेत है।
क्यों है इस कदम की जरूरत?
इस बड़े बदलाव का मुख्य मकसद सरकारी बैंकों के लिए पूंजी जुटाने (Capital Raising) का एक नया रास्ता खोलना है। सरकारी बैंकों को अक्सर प्राइवेट बैंकों की तुलना में कमजोर माना जाता है। उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार करने और कम आय वाले वर्गों को लोन देने जैसी सामाजिक जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ता है और NPA (फंसे हुए कर्ज) का जोखिम बढ़ता है। इस नई नीति से उन्हें बाजार से पैसा उठाने में मदद मिलेगी और वे प्राइवेट बैंकों को कड़ी टक्कर दे पाएंगे।
विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब विदेशी निवेशक भारत के बैंकिंग सेक्टर में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हाल ही में, दुबई की एमिरेट्स एनबीडी ने आरबीएल (RBL) बैंक में और जापान की सुमितोमो मित्सुई (SMBC) ने यस बैंक (YES Bank) में अरबों डॉलर का निवेश किया है। सरकार अब इस विदेशी पूंजी के प्रवाह को अपने बैंकों की ओर मोड़ना चाहती है।
फिलहाल भारत के बैंकिंग नियमों में एक बड़ा अंतर है। जहां प्राइवेट सेक्टर के बैंकों (जैसे HDFC, ICICI) में 74% तक विदेशी निवेश की इजाजत है, वहीं सरकारी बैंकों (जैसे SBI, PNB) के लिए यह सीमा सिर्फ 20% पर अटकी हुई है। सरकार का यह नया प्रस्ताव इसी अंतर को पाटने और सरकारी व प्राइवेट बैंकों के लिए एक समान अवसर (Level Playing Field) बनाने की कोशिश है।
सरकार का कंट्रोल रहेगा बरकरार
सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि निवेश की सीमा 49% तक बढ़ाने के बावजूद, सरकार इन बैंकों पर अपना नियंत्रण नहीं छोड़ेगी। किसी भी हाल में सरकारी बैंकों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होगी। यह कदम निजीकरण (Privatization) नहीं, बल्कि बैंकों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की एक रणनीति है।
RBI की रहेगी पैनी नजर
RBI बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर अब पहले से ज्यादा खुला रुख अपना रहा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक इस बात पर सख्त रहेगा कि किसी एक विदेशी निवेशक को बहुत ज्यादा ताकत न मिले। भले ही कोई 49% हिस्सेदारी खरीद ले, लेकिन संभावना है कि RBI किसी भी एक निवेशक के लिए वोटिंग अधिकारों (Voting Rights) को 10% पर सीमित रखेगा, ताकि बैंक का नियंत्रण किसी एक हाथ में न जाए।
खबर की मुख्य बातें
- सरकार, सरकारी बैंकों (PSBs) में विदेशी निवेश की सीमा 20% से बढ़ाकर 49% करने पर विचार कर रही है।
- इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय और RBI के बीच बातचीत चल रही है, जिसका मकसद बैंकों के लिए पूंजी जुटाना है।
- निवेश सीमा बढ़ने के बावजूद, सरकार बैंकों में अपनी 51% की बहुलांश (Majority) हिस्सेदारी बनाए रखेगी।
- RBI यह सुनिश्चित कर सकता है कि किसी भी एक विदेशी निवेशक को 10% से अधिक वोटिंग अधिकार न मिलें।






