Lokpal BMW Controversy 2025 — भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए बनी संस्था लोकपाल (Lokpal) अब खुद अपने फैसले को लेकर सवालों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकपाल के चेयरपर्सन और सभी सदस्यों के लिए करीब 70 लाख रुपये की कीमत वाली BMW 3 Series 330 Li कारें खरीदी जा रही हैं। इस लग्जरी खरीद को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है, जहां लोग सवाल उठा रहे हैं कि “क्या भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली संस्था को खुद इतनी विलासिता की ज़रूरत है?”
लोकपाल की ओर से 16 अक्टूबर को एक आधिकारिक टेंडर नोटिस (Tender Notice) जारी किया गया है, जिसमें सात बीएमडब्ल्यू कारों की मांग की गई है। ये गाड़ियां लोकपाल के अध्यक्ष और सभी सदस्यों के लिए खरीदी जानी हैं।

टेंडर के अनुसार, ये कारें BMW 3 Series 330 Li मॉडल की होंगी और इनकी कुल कीमत लगभग 70 लाख रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है। खास बात यह है कि इन कारों को चलाने वाले ड्राइवरों और स्टाफ को कंपनी की ओर से सात दिन की स्पेशल ट्रेनिंग (Special Training) दी जाएगी, जिसमें वे कार के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और ऑटोमैटिक ऑपरेशन्स को सीखेंगे।
विवाद और प्रतिक्रियाएं:
इस लग्जरी खरीद के बाद सोशल मीडिया पर लोकपाल की आलोचना शुरू हो गई है। ऐक्टिविस्ट और वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा कि “लोकपाल के सदस्य जनता की शिकायतों से ज़्यादा अपनी सुविधाओं पर ध्यान दे रहे हैं।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब भ्रष्टाचार जांच संस्था खुद 70 लाख की गाड़ियां खरीदने लगे, तो यह उसकी प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है।
कांग्रेस युवा मोर्चा (Congress Youth Wing) ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार लोकपाल जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता (Credibility) को कमजोर कर रही है। उनका कहना है कि “भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली संस्था को सादगी का उदाहरण होना चाहिए, न कि आलीशान गाड़ियों में घूमने का प्रतीक।”
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने व्यंग्य करते हुए लिखा, “लोकपाल वाले तो बीएमडब्ल्यू ही खरीद रहे हैं, शुक्र है रॉल्स रॉयस नहीं!”
लोकपाल संस्था की स्थापना भ्रष्टाचार के खिलाफ सशक्त तंत्र तैयार करने के लिए की गई थी। दिसंबर 2013 में संसद ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम (Lokpal and Lokayukta Act, 2013) पास किया था, जिसे जनवरी 2014 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली।
वर्तमान में जस्टिस अजय मानिकराव खानविलकर (Justice Ajay Manikrao Khanwilkar) इसके चेयरपर्सन हैं, जबकि सदस्यों में जस्टिस एल. नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव, जस्टिस रितु राज अवस्थी, पंकज कुमार, सुशील चंद्रा और अजय तिरके शामिल हैं।
लोकपाल से जनता को यह उम्मीद रही है कि यह संस्था सरकारी विभागों में पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करेगी, लेकिन मौजूदा विवाद से इसकी छवि पर असर पड़ सकता है।
मुख्य बातें (Key Points):
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लोकपाल के लिए 70 लाख रुपये की BMW 3 Series 330 Li कारें खरीदी जाएंगी।
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ड्राइवरों को कार ऑपरेशन की 7 दिन की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
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प्रशांत भूषण और विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना की।
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सोशल मीडिया पर फैसले को लेकर मीम्स और व्यंग्य की बाढ़ आई।
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लोकपाल की सादगी और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।






