चंडीगढ़, 10 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एडीजीपी वाई. पूनम कुमार (एक दलित अधिकारी) की चौंकाने वाली आत्महत्या और हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हुए हमले के बाद भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता की कड़ी आलोचना की है।
शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप विधायक सुखविंदर कुमार सुखी ने कहा कि ये दोनों घटनाएँ कोई छिटपुट घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे पैटर्न का हिस्सा हैं जो भाजपा की गहरी मानवतावादी विचारधारा और संविधान व दलितों के प्रति उसकी असहिष्णुता को उजागर करता है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ आप पंजाब के महासचिव डॉ. एस.एस. अहलूवालिया भी मौजूद थे।
सुखी ने कहा कि एडीजीपी पूनम कुमार की आत्महत्या कोई साधारण मौत नहीं है; यह न्याय और समानता की हत्या है। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि उन्हें सिर्फ इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि वह दलित थे। डीजीपी, मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उन्हें लगातार परेशान करते रहे। उन्हें अपने बीमार माता-पिता की देखभाल के लिए भी छुट्टी नहीं दी गई। जाति-आधारित उत्पीड़न इस हद तक बढ़ गया कि उन्हें अपनी जान लेने पर मजबूर होना पड़ा। फिर भी, हरियाणा की भाजपा सरकार ने अभी तक उनके सुसाइड नोट में उल्लिखित किसी भी अधिकारी के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे ज़्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है?
आप विधायक ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार अब क्रूरता और जातीय अहंकार का प्रतीक बन गई है। उन्होंने पूछा कि जब एक वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा सकता है, तो भाजपा शासन में गरीब दलितों और वंचितों के लिए क्या उम्मीद बची है?
सुक्खी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हुए हमले की भी कड़ी निंदा की और इसे डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा और संविधान पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले व्यक्ति ने न केवल न्यायमूर्ति गवई का , बल्कि समानता, न्याय और बाबासाहेब के दृष्टिकोण में विश्वास रखने वाले लाखों लोगों के विश्वास का भी अपमान किया है। इस गंभीर घटना पर भाजपा और उसके नेताओं की चुप्पी उनकी मिलीभगत को दर्शाती है।
उन्होंने आगे कहा कि यह वही भाजपा है जिसने संत रविदास मंदिर की मांग को भी नज़रअंदाज़ किया था। वे दलितों को सिर्फ़ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं और फिर उन्हें भूल जाते हैं। क्या यही उनका ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा है?
आप विधायक ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार पहले ही दिखा चुकी है कि नफ़रत फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कितनी सख़्त और तेज़ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और दलित समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वालों पर दर्जनों एफ़आईआर दर्ज की गई हैं और गैर-ज़मानती धाराएँ लगाई गई हैं। हरियाणा में भी ऐसा ही होना चाहिए, लेकिन वहाँ की भाजपा सरकार दोषियों को बचा रही है।
सुक्खी ने एडीजीपी पूनम कुमार की मौत की न्यायिक जाँच और उनके सुसाइड नोट में ज़िक्र किए गए सभी अधिकारियों और नेताओं के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई की माँग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भाजपा सरकारें दलितों पर अत्याचार और दोषियों को बचाना जारी रखेंगी, तो आप और पूरा दलित समुदाय न्याय की माँग को लेकर सड़कों पर उतरेगा।
सुक्खी ने कहा कि भाजपा का असली चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है। वे संविधान की नहीं, बल्कि मनुस्मृति की पूजा करते हैं। यह लड़ाई अब सिर्फ एक अधिकारी या न्यायाधीश की नहीं रह गई है, यह भारत की आत्मा, समानता, न्याय और गरिमा को बचाने की लड़ाई है।






