नई दिल्ली, 26 सितंबर (The News Air) रूस के उप प्रधानमंत्री श्री दिमित्री पेत्रुशेव, उनके डिप्टी एग्रीकल्चर मिनिस्टर सहित प्रतिनिधमंडल के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की आज कृषि भवन, नई दिल्ली में महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक हुई। शिवराज सिंह ने कहा कि ये बैठक अत्यंत सौहार्दपूर्ण व उपयोगी रही है। हमने कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग, द्विपक्षीय व्यापार संतुलित करने, तकनीकी साझेदारी और मजबूत करने पर व्यापक चर्चा की है।
बैठक के बाद मीडिया को दिए वक्तव्य में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि रूस के समर्थन व सहयोग से व्यापार और लंबित मुद्दों का निश्चित तौर पर समाधान निकलेगा, जिसका लाभ हमारे किसानों, उपभोक्ताओं एवं दोनों देशों के नागरिकों को मिलेगा। शिवराज सिंह ने कहा कि रूस और भारत की मित्रता शांति व स्थिरता के लिए भी आवश्यक है और भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम” की जो भावना है, सारी दुनिया ही हमारा परिवार है, हम अपने राष्ट्रहितों का संरक्षण करते हुए रूस के साथ भी और बेहतर कृषि व्यापार हो, नवाचार हो, खाद्य सुरक्षा के लिए हम साथ मिलकर काम करें, शिक्षा के क्षेत्र में काम करें, यह हमारी मंशा है और इन मुद्दों पर बहुत सकारात्मक चर्चा हुई है।
केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने बताया कि भारत के बहुत से उत्पादों की रूस के बाजारों तक पहुंच हो सकती है, परंतु फाइटोसैनिटरी मानक और नॉन-टैरिफ बाधाओं के कारण उनके निर्यात में बाधाएं आ रही हैं। श्री चौहान ने रूस के उप प्रधानमंत्री को बताया कि भारत में खेतों के आकार काफ़ी छोटे हैं और छोटे किसान कभी-कभी ऐसे मानकों का पूरा पालन कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते, इसलिए इन बाधाओं का मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है। शिवराज सिंह ने कहा कि रूस के बाज़ार में हमारी पहुंच बेहतर बने, इसके बारे में चर्चा की है। शिवराज सिंह ने विश्वास जताया कि फाइटोसैनिटरी मानक और नॉन-टैरिफ बाधाओं से जुड़े जो मामले हैं, उनका जल्द समाधान होगा।
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि हमने शोध एवं नवाचार पर भी व्यापक चर्चा की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और उनके संस्थान के बीच व्यापक सहयोग पर चर्चा जारी है, ताकि विज्ञान व तकनीकी का आदान-प्रदान हम लोग आपस में कर सकें। इस विषय पर भी बहुत सकारात्मक दृष्टिकोण से हमारी बातचीत हुई है।
शिवराज सिंह ने बताया कि हमने ये भी चर्चा की है कि हमारे विद्यार्थी रूस अध्ययन करने जाएं और रूस के विद्यार्थी, विशेषकर कृषि क्षेत्र में हमारे संस्थानों में पढ़ने आएं। चाहे हमारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हों या हमारे कृषि कॉलेज हों, इस पर भी व्यापक सहमति बनी है और बहुत सकारात्मक बात हुई है। शिवराज सिंह ने कहा कि छात्रों का और अकादमिक आदान-प्रदान ये केवल शिक्षा का नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ बीज ट्रेसेबिलिटी प्रणाली और कृषि आधारित समाधानों पर भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई है।






