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बड़ा इस्तीफा: ‘आप’ विधायक और पूर्व IPS कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पंजाब विधानसभा की अधीन विधान समिति की सदस्यता छोड़ दी है।
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सरकार से टकराव: यह इस्तीफा उनकी अपनी ही पार्टी की सरकार के साथ लंबे समय से चल रहे मतभेदों और सार्वजनिक आलोचना का परिणाम है।
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चर्चित चेहरा: कुंवर विजय प्रताप बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड की जांच के लिए जाने जाते हैं और इन्हीं मुद्दों पर वह सरकार की कार्यप्रणाली से नाखुश थे।
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सियासी संदेश: एक महत्वपूर्ण समिति से सत्ताधारी विधायक का इस्तीफा पार्टी के भीतर गहरे मतभेद और अनुशासन की कमी का संकेत माना जा रहा है।
Punjab Politics : पंजाब (Punjab) की सियासत में एक बड़ी हलचल हुई है, जिसने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के भीतर चल रही खींचतान को सतह पर ला दिया है। अमृतसर (Amritsar) से ‘आप’ विधायक और पूर्व आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह (Kunwar Vijay Pratap Singh) ने विधानसभा की एक अहम समिति से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस कदम को अपनी ही सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा खोलने के तौर पर देखा जा रहा है।
स्पीकर ने मंजूर किया इस्तीफा : पंजाब विधानसभा (Punjab Vidhan Sabha) के अध्यक्ष ने कुंवर विजय प्रताप सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और इस बारे में एक आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, उन्हें विधानसभा की अधीन विधान समिति (Committee on Subordinate Legislation) का सदस्य बनाया गया था। उन्होंने 19 अगस्त, 2025 को इस समिति से अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसे अब मंजूर कर लिया गया है। इस फैसले के बाद अब वह इस महत्वपूर्ण समिति का हिस्सा नहीं रहेंगे।
विधानसभा में ‘अधीन विधान समिति’ का काम बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह समिति सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और उप-नियमों की जांच करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे विधानसभा द्वारा पारित मूल कानून के दायरे में हैं या नहीं। एक तरह से यह समिति सरकारी कामकाज पर विधायी नियंत्रण रखती है। जब सत्ताधारी पार्टी का कोई विधायक ऐसी समिति से इस्तीफा देता है, तो इसे महज एक सामान्य घटना नहीं माना जाता। यह अक्सर सरकार की कार्यप्रणाली या नीतियों से गहरे मतभेद का एक सांकेतिक विरोध होता है, जो दर्शाता है कि विधायक अब पार्टी लाइन पर चलकर सरकारी कामकाज की निगरानी नहीं करना चाहता।
कौन हैं कुंवर विजय, क्यों हैं अपनी ही सरकार से नाराज? : कुंवर विजय प्रताप सिंह सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति का एक चर्चित चेहरा हैं। राजनीति में आने से पहले वह एक उच्च पदस्थ आईपीएस (IPS) अधिकारी थे और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड (Kotkapura Firing Case) की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी (SIT) के प्रमुख के तौर पर सुर्खियों में आए थे। पुलिस सेवा से समय से पहले सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने 2022 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।
हालांकि, विधायक बनने के बाद से ही उनके और अपनी ही सरकार के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे। उन्होंने कई मौकों पर, चाहे वह विधानसभा के अंदर हो या बाहर, मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर खुलकर सवाल उठाए। खास तौर पर बेअदबी जैसे संवेदनशील मामलों की जांच की गति और दिशा को लेकर वह अपनी असहमति सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते रहे हैं। माना जा रहा है कि समिति से उनका इस्तीफा इसी बढ़ती दूरी और असंतोष का नतीजा है।






