• About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy
🔆 बुधवार, 10 दिसम्बर 2025 🌙✨
The News Air
No Result
View All Result
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
  • स्पेशल स्टोरी
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
The News Air
No Result
View All Result
Home Breaking News

सिंध का पानी आने वाली पीढ़ियों के लिए पंजाब के भूजल को बचाने में सहायक हो सकता है: मुख्यमंत्री

पंजाब और हरियाणा की ज़रूरतों के लिए सिंध के पानी का उचित प्रयोग करके पानियों के मुद्दे को हमेशा के लिए ख़त्म किया जाये; मुख्यमंत्री की भारत सरकार से अपील

The News Air by The News Air
मंगलवार, 5 अगस्त 2025
A A
0
CM Mann
104
SHARES
690
VIEWS
ShareShareShareShareShare
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली, 5 अगस्त (The News Air) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मंगलवार को भारत सरकार से अपील की कि वह सतलुज यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) के मुद्दे को समाप्त करके पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चले आ रहे जल विवाद को हल करने के लिए चिनाब नदी के पानी का उपयोग करे।

एस.वाई.एल. के मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल के साथ बैठक के दौरान विचार-विमर्श में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 जुलाई को हुई पिछली बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने बताया था कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया गया है, जिससे इस समझौते के तहत पाकिस्तान को दिए जाने वाले पश्चिमी नदियों में से एक चिनाब नदी के पानी के उपयोग के लिए भारत के लिए बड़ा अवसर खुला है। उन्होंने कहा कि केंद्र को अब चिनाब का पानी रणजीत सागर, पौंग या भाखड़ा जैसे भारतीय बांधों के माध्यम से लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अतिरिक्त पानी को लाने के लिए नई नहरों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी, जिसके लिए पंजाब में इसका निर्माण होगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पहले इन नहरों और बुनियादी ढांचे के साथ पंजाब की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं और पंजाब की जरूरतें पूरी होने के बाद बचा हुआ पानी उसी नहरी प्रणाली के माध्यम से हरियाणा और राजस्थान को आपूर्ति किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिनाब के पानी के उपयोग से पंजाब के भूजल पर निर्भरता कम होगी और नहरी पानी आधारित सिंचाई को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों को लाभ होगा, जो पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए राज्य का भूजल बचेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब, जो वर्तमान में भूजल की कमी का सामना कर रहा है, को इन नदी जलों के उपयोग या वितरण के लिए भविष्य की किसी भी रणनीति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भगवंत सिंह मान ने जोरदार अपील की कि पश्चिमी नदियों के पानी को प्राथमिकता के आधार पर पंजाब को आवंटित किया जाना चाहिए और यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा भाखड़ा और पौंग बांधों के ऊपर नए भंडारण बांध बनाए जाने चाहिए, जिससे पश्चिमी नदी जलों के भंडारण और नियमन में काफी वृद्धि होगी।

एस.वाई.एल. नहर का मुद्दा समाप्त करने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि एस.वाई.एल. नहर की जरूरत को समाप्त करने के लिए शारदा यमुना लिंक के माध्यम से अतिरिक्त पानी को यमुना नदी में स्थानांतरित करना और चिनाब के पानी को रोहतांग सुरंग के माध्यम से ब्यास नदी की ओर मोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि शारदा-यमुना लिंक के लंबे समय से चले आ रहे प्रोजेक्ट को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए और अतिरिक्त पानी को उपयुक्त स्थान पर यमुना नदी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस तरह उपलब्ध अतिरिक्त पानी हरियाणा राज्य की रावी-ब्यास प्रणाली से पानी की बकाया जरूरत को पूरा कर सकता है। इसके अलावा, राजधानी दिल्ली की लगातार बढ़ रही पेयजल की जरूरत और राजस्थान को यमुना के पानी की उपलब्धता को भी पूरा किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपरोक्त स्थिति में दोबारा एस.वाई.एल. नहर के निर्माण के मुद्दे को टाला और हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है। यमुना सतलुज लिंक (वाई.एस.एल.) नहर की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के बीच यमुना के पानी के वितरण के 12 मई, 1994 के समझौते की समीक्षा 2025 के बाद की जानी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब को यमुना के पानी के वितरण में भागीदार राज्य के रूप में शामिल किया जाना चाहिए और यमुना के पानी के वितरण के समय राज्य के लिए यमुना का अतिरिक्त 60 प्रतिशत पानी पंजाब को देने पर विचार किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के पास अन्य स्रोतों से अतिरिक्त पानी प्राप्त करने की काफी संभावना है, जिसका हिसाब लगाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को घग्गर नदी, टांगरी नदी, मारकंडा नदी, सरस्वती नदी, चौटांग-राकशी, नई नाला, सैहबी नदी, कृष्णा धुआं और लंडोहा नाला से 2.703 एम.ए.एफ. पानी भी मिल रहा है, जिसे राज्यों के बीच पानी के वितरण का फैसला करते समय अब तक ध्यान में नहीं लिया गया। भगवंत सिंह मान ने दोहराया कि एस.वाई.एल. नहर एक ‘भावनात्मक मुद्दा’ है और इससे पंजाब में कानून व्यवस्था के लिए गंभीर हालात बन सकते हैं और यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी, जिसका खामियाजा हरियाणा और राजस्थान को भी भुगतना पड़ेगा।

यह भी पढे़ं 👇

Ram Naam

Ram Naam जपने से सचमुच बदलती है किस्मत? जानिए ‘वैज्ञानिक’ तौर पर 5 अद्भुत प्रभाव!

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Tula Rashi 2026

Tula Rashi 2026: केतु का ‘धन लाभ’, बृहस्पति की ‘सफलता’! 5 बड़ी बातें जान लें

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Mulank 4 Horoscope 2026

Mulank 4 Horoscope 2026: इन 5 बड़ी बातों का रखें ध्यान! 4 और 13 तारीख वालों पर राहु का असर

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Rahul Gandhi

Election Commission Controversy पर संसद में संगीन आरोप, लोकतंत्र खतरे में

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि एस.वाई.एल. नहर के लिए आज तक जमीन उपलब्ध नहीं है और यह भी कहा कि तीन नदियों के 34.34 एम.ए.एफ. पानी में से पंजाब को केवल 14.22 एम.ए.एफ. पानी आवंटित किया गया था, जो 40 प्रतिशत बनता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बाकी 60 प्रतिशत हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान को आवंटित किया गया था। हालांकि इनमें से कोई भी नदी वास्तव में इन राज्यों से नहीं बहती। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सतही पानी में कमी के कारण भूजल पर दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के 153 ब्लॉकों में से 115 (75 प्रतिशत) को भूजल से अत्यधिक निकासी वाले घोषित किया गया है, जबकि हरियाणा में 61 प्रतिशत (143 में से 88) अत्यधिक भूजल निकासी की श्रेणी में आते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ट्यूबवेलों की संख्या 1980 के दशक में 6 लाख से बढ़कर 2018 में 14.76 लाख हो गई है (इसमें केवल कृषि के लिए लगाए गए ट्यूबवेल ही शामिल हैं), जो पिछले 35 वर्षों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में पूरे देश में भूजल निकासी की दर सबसे अधिक (157 प्रतिशत) है, जो राजस्थान (150 प्रतिशत) से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि पंजाब अपनी पानी की जरूरत को नजरअंदाज करता रहा है और गैर-रिपेरियन राज्यों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 60 प्रतिशत पानी देता है, जबकि इन राज्यों से रावी-ब्यास और सतलुज नदी नहीं गुजरती। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब ने 2024 के दौरान 124.26 लाख मीट्रिक टन गेहूं का बड़ा योगदान दिया, जो भारत में खरीदे गए कुल अनाज का 47 प्रतिशत है। इसके अलावा, पंजाब केंद्रीय पूल में 24 प्रतिशत चावल का योगदान भी देता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के कुल पानी की जरूरत 52 एम.ए.एफ. है और पंजाब के पास उपलब्ध पानी केवल 26.75 एम.ए.एफ. है, जिसमें तीन नदियों का पानी 12.46 एम.ए.एफ. और भूजल 14.29 एम.ए.एफ. शामिल है। उन्होंने कहा कि पंजाब की नदियों का पानी भागीदार राज्यों के बीच वितरित किया जाता है, जबकि इन नदियों से आने वाली बाढ़ के कारण नुकसान केवल पंजाब में ही होता है, जिससे पंजाब को हर साल भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि चूंकि लाभ भागीदार राज्यों में एक निश्चित अनुपात में साझा किया जाता है, इसलिए यह जरूरी है कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान और तबाही के संबंध में पंजाब को भागीदार राज्यों से वार्षिक आधार पर उचित मुआवजा मिले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलते हालात और पर्यावरणीय बदलावों के मद्देनजर ट्रिब्यूनलों के फैसलों और समझौतों की समीक्षा होनी चाहिए, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय मानक भी हर 25 साल बाद समीक्षा को अनिवार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह हरियाणा रावी और ब्यास से पानी का हिस्सा मांगता है, उसी तरह पंजाब यमुना नदी से अपना हिस्सा मांगता है क्योंकि भारत सरकार के सिंचाई आयोग 1972 ने पंजाब को यमुना नदी का रिपेरियन राज्य बताया है। भगवंत सिंह मान ने अफसोस जताया कि भारत सरकार का मानना है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 यमुना नदियों के पानी के बारे में चुप है क्योंकि पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के वितरण के समय इस पानी को विचार नहीं किया गया, जबकि यह अधिनियम रावी के पानी के बारे में भी चुप है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने पहले ही रावी-ब्यास के अतिरिक्त पानी के संबंध में 1981 में हुए समझौते को रद्द करने के लिए ‘पंजाब समझौता रद्द करने अधिनियम, 2004’ बनाया है।

पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

Related Posts

Ram Naam

Ram Naam जपने से सचमुच बदलती है किस्मत? जानिए ‘वैज्ञानिक’ तौर पर 5 अद्भुत प्रभाव!

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Tula Rashi 2026

Tula Rashi 2026: केतु का ‘धन लाभ’, बृहस्पति की ‘सफलता’! 5 बड़ी बातें जान लें

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Mulank 4 Horoscope 2026

Mulank 4 Horoscope 2026: इन 5 बड़ी बातों का रखें ध्यान! 4 और 13 तारीख वालों पर राहु का असर

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Rahul Gandhi

Election Commission Controversy पर संसद में संगीन आरोप, लोकतंत्र खतरे में

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
Rahul Gandhi Lok Sabha speech

Election Commission पर कब्ज़ा? राहुल गांधी ने संसद में किया खुलासा

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
10 December Rashifal

10 December Ka Rashifal: इन 3 राशियों को मिलेगा 100% लाभ, जानें अपना भाग्य

मंगलवार, 9 दिसम्बर 2025
0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
The News Air

© 2025 THE NEWS AIR

The News Air

  • About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy

हमें फॉलो करें

No Result
View All Result
  • प्रमुख समाचार
    • राष्ट्रीय
    • पंजाब
    • अंतरराष्ट्रीय
    • सियासत
    • नौकरी
    • बिज़नेस
    • टेक्नोलॉजी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • हेल्थ
    • लाइफस्टाइल
    • धर्म
    • स्पेशल स्टोरी
  • राज्य
    • चंडीगढ़
    • हरियाणा
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • महाराष्ट्र
    • पश्चिम बंगाल
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • उत्तराखंड
    • मध्य प्रदेश
    • राजस्थान
  • काम की बातें

© 2025 THE NEWS AIR