भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस हर साल इकोनॉमिकस, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस, लाइफ साइंस, मैथमेटिक्ल साइंस और फीजिकल साइंस में पुरस्कार देता है. इस साल भी इंफोसिस साइंस फाउंडेशन ने गुरुवार को 6 रिसर्चर्स को पुरस्कार देकर सम्मानित किया. फाउंडेशन ने सभी विजेताओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया और प्राइज भी दिया.
अरुण चन्द्रशेखर, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिकस के प्रोफेसर को सम्मानित किया गया. श्याम गोलाकोटा, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग स्कूल के प्रोफेसर को सम्मानित किया गया. पुणे के एसोसिएट प्रोफेसर सिद्धेश कामत को लाइफ साइंस में पुरस्कार मिला. प्रोफेसर नीना गुप्ता को मैथमेटिक्ल साइंस में सम्मानित किया गया और वेदिका खेमानी को फीजिकल साइंस में सम्मानित किया गया.
इस लिस्ट में प्रोफेसर महमूद कूरिया का नाम भी दर्ज है. प्रोफेसर कूरिया को ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस फील्ड में पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने महज 36 साल की उम्र में इस्लाम में ऐसा काम कर दिया है, ऐसी किताबें लिखी हैं कि पूरे देश की नजरें इस वक्त इन पर बनी हुई है.
इस्लाम मैरीटाइम पर रिसर्च
महमूद कूरिया एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. प्रोफेसर ने मैरीटाइम इस्लाम (Maritime Islam) को लेकर रिसर्च की है. अपनी रिसर्च में प्रोफेसर ने ईस्ट अफ्रीका से लेकर मिडिल ईस्ट, साउथ एशिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, नीदरलैंड्स ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी तक की इस्लाम मैरीटाइम पर रिसर्च की. उन्होंने हिंद महासागर में शफ़ीई इस्लाम का एक इतिहास और सांस्कृतिक सब के सामने रखी. प्रोफेसर ने अपनी रिसर्च में केरल पर खास फोकस किया है.
प्रोफेसर कूरिया ने कई किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताबों में इस्लामिक लॉ इन सर्कुलेशन: शफ़ीई टेक्स्ट्स अक्रॉस द इंडियन ओशन एंड मेडिटेरेनियन (2022) में पूरी दुनिया के सामने रखी. उनकी इस किताब में हमें केरल के सभी प्रमुख लेखकों और ग्रंथों की एक पूरी जानकारी (प्रोसोपोग्राफी) मिलती है. इसके अंदर उनकी जिंदगी, करियर की जानकारी मिलती है. यह किताब अरबी और मलयालम में लिखी गई है.
केरल में रचा इतिहास
महमूद कूरिया ने साथ ही एक और रिकॉर्ड बनाया है. वो केरल के पहले इतिहासकार हैं, जिन्होंने समुद्री इस्लाम के ऊपर गहराई से रिसर्च की. प्रोफेसर महमूद कूरिया हिंद महासागर इस्लाम या मैरिटाइम इस्लाम के दुनिया के लीडिंग स्कॉलर में से एक हैं, वह अरबी और मलयालम की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं और उन्हें इन भाषाओं का एक्सपर्ट कहना गलत नहीं होगा.
प्रोफेसर कूरिया ने हिस्ट्री और इस्लामिक स्टडीज से दारुल हुदा इस्लामिक अकादमी और कालीकट यूनिवर्सिटी से बीए किया है. उन्होंने दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से प्राचीन इतिहास (Ancient History) में एम ए और एम.फिल. किया है. साथ ही उन्होंने उन्होंने साल 2016 में लीडेन यूनिवर्सिटी से ग्लोबल हिस्ट्री में पीएडी की.