नई दिल्ली,13 सितंबर,(The News Air): सिनेमा देखने का मजा तब तक नहीं आता है, जब तक कि इसमें कुछ चौंकाने वाला न हो। हालांकि, फिल्म ‘द बकिंघम मर्डर्स’ देखने से ज्यादा चौंकाने वाली बात रही इसे देखकर थियेटर से बाहर निकलने के दौरान हुआ एहसास। गुरुवार रात फिल्म का प्रेस शो खत्म होने के बाद बताया गया कि इसके रिव्यू पर शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक एम्बार्गो है। लेकिन, जैसे ही सिनेपोलिस से गाड़ी लेकर मैं मुख्य सड़क पर बाएं मुड़ा, सामने दर्जनभर से ज्यादा स्टार रेटिंग्स के साथ फिल्म ‘द बकिंघम मर्डर्स’ का विशालकाय होर्डिंग जैसे मुझे चौंकाने के लिए ही हाजिर था। सिनेमा और सियासत दोनों इन दिनों एक जैसे संवेदनशील होते जा रहे हैं। दोनों पर लिखना रस्सी पर करतब दिखाने वाले नट जैसा हो गया है। और, सिनेमा तो है ही एक तरह के नाटक को कैमरे के जरिये दर्शकों तक पहुंचाना।
“BPSC Protest: Students से Government करेगी बातचीत, समाधान नहीं तो संघर्ष जारी!”
पटना, 29 दिसंबर (The News Air) पटना में रविवार (29 दिसंबर) को हुए बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन के बाद अब...