नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (The News Air)
दिल्ली में इस साल कोविड-19 (Covid-19) के गंभीर प्रकोप से पता चला कि सार्स-सीओवी-2 वायरस के किसी अन्य स्वरूप से पहले संक्रमित हो चुके लोगों को वायरस का डेल्टा स्वरूप पुन: संक्रमित कर सकता है. वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने वायरस के स्वरूप के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता (Herd Immunity) का विकास बहुत चुनौतीपूर्ण बताया. पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित अध्ययन में सामने आया कि डेल्टा स्वरूप दिल्ली में सार्स-सीओवी-2 के पिछले स्वरूपों की तुलना में 30 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है.
दिल्ली में पिछले वर्ष मार्च में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद से शहर में जून, सितंबर और नवंबर 2020 में वायरस ने कहर बरपाया. इस वर्ष अप्रैल में तो हालात बेहद खराब हो गए जब 31 मार्च से 16 अप्रैल के बीच संक्रमण के दैनिक मामले 2,000 से बढ़कर 20,000 तक पहुंच गए. इस दौरान अस्पतालों और आईसीयू में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बेहद दबाव में आ गई. वायरस की पहले की लहरों की तुलना में मरने वालों की संख्या भी तीन गुना बढ़ गई.
किस मॉडल का उपयोग कर निकाला निष्कर्ष-अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली की कुल सीरो-पॉजीटिविटी 56.1 फीसदी है जिससे भविष्य में वायरस की लहर आने पर सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता के जरिए ही कुछ सुरक्षा मिलेगी. सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता से रोग से परोक्ष सुरक्षा मिलती है और यह तब विकसित होती है जब पर्याप्त प्रतिशत आबादी में संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. हालिया अध्ययन में महामारी के प्रकोप को समझने के लिए जिनोमिक और महामारी विज्ञान संबंधी आंकड़ों और गणितीय मॉडल का उपयोग किया गया.
किसने की ये रिसर्च-राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के नेतृत्व में यह अध्ययन कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया.