नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (The News Air)
केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) कानून में संशोधन कर बीएसएफ अधिकारियों को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा (भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश ) से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने की शक्ति दे दी है. यानी कि अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वॉरंट के बिना भी बीएसएफ इस अधिकार क्षेत्र के अंदर गिरफ्तारी और तलाशी अभियान जारी रख सकता है. गृह मंत्रालय का दावा है कि सीमा पार से हाल ही में ड्रोन से हथियार गिराए जाने की घटनाओं को देखते हुए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने का कदम उठाया गया है.
हालांकि, इस कदम के बाद राज्य की स्वायत्तता पर बहस शुरू हो गई है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र के इस कदम का विरोध किया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने ट्वीट कर कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है. मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं.”
गृह मंत्रालय का दावा है कि यह फैसला 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है, लेकिन इस फैसले के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दे भी उठे सकते हैं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया, “यह राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील कदम है. बीएसएफ का मुख्य उद्देश्य सीमाओं की रक्षा करना और घुसपैठ को रोकना है. हाल के मामलों ने देखा गया है कि बीएसएफ सीमा रेखा की रक्षा करने में नाकाम रही है.”
उनके मुताबिक, इस कदम से बीएसएफ की तलाशी और जब्ती के दौरान उनका स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों के साथ टकराव हो सकता है. उन्होंने कहा, “”उनकी (बीएसएफ की) ड्यूटी सीमा चौकियों के आसपास रहती है, लेकिन इन नई शक्तियों के साथ वे कुछ राज्यों के अधिकार क्षेत्र में भी काम करेंगे.”
इसके विपरीत सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस कदम के बाद यदि हमारे पास किसी भी मामले में खुफिया जानकारी होगी, तो हमें स्थानीय पुलिस के जवाब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हम समय पर निवारक कार्रवाई कर सकेंगे हैं.”
नई अधिसूचना के अनुसार, बीएसएफ अधिकारी पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में गिरफ्तारी और तलाशी ले सकेंगे. बीएसएफ को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), पासपोर्ट अधिनियम और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम के तहत यह कार्रवाई करने का अधिकार मिला है.
चन्नी ने जताया विरोध-केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है, ‘मैं केंद्र सरकार के इस एकपक्षीय फैसले का विरोध करता हूं, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के 50 किमी अंदर तक बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं. ये संघवाद पर सीधा हमला है. मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस अतार्किक फैसले को तुरंत वापस लेने की अपील करता हूं.’
केंद्र के समर्थन में उतरे कैप्टन-वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने इस फैसले की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को राजनीति का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने कहा है-हमारे जवान कश्मीर में शहीद हो रहे हैं. हम देख रहे हैं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन पंजाब में बड़ी मात्रा में हथियार और ड्रग्स भेज रहे हैं. ऐसे में बीएसएफ की बढ़ी हुई मौजूदगी और ताकत हमें मजबूत बनाएगी.
रंधावा ने भी मुखालफत-इसके साथ ही, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी केंद्र सरकार के फैसले की मुखालफत करते हुए कहा है कि राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना या उनकी सहमति प्राप्त किए बिना बीएसएफ के अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों की शक्तियां प्रदान करके केंद्र संविधान के संघीय ढांचे को विकृत करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और संघवाद की भावना को कमजोर करने के अलावा भारत सरकार द्वारा मौजूदा व्यवस्थाओं को एकतरफा रूप से बदलने के लिए कोई उचित कारण नहीं हैं.