16th Finance Commission देश की आर्थिक नीतियों और भविष्य की दिशा तय करने के लिहाज से एक बेहद अहम खबर सामने आई है। 16वें वित्त आयोग ने अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट तैयार कर ली है और आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया ने इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रिपोर्ट आने वाले 5 सालों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों की नींव रखेगी।
राष्ट्रपति भवन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर इस मुलाकात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगड़िया और अन्य सदस्यों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद आयोग के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए डॉ. पनगड़िया को टैग किया और इस मुलाकात की जानकारी दी।
तय होगा टैक्स और फंड का फॉर्मूला
यह रिपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश के वित्तीय ढांचे का खाका है। 16वां वित्त आयोग मुख्य रूप से यह तय करेगा कि केंद्र सरकार द्वारा इकट्ठा किए गए टैक्स में राज्यों का हिस्सा कितना होगा। इसके अलावा, राज्यों को दी जाने वाली अनुदान सहायता (Grants) का ढांचा कैसा होगा, यह भी इसी रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
नियमों के अनुसार, यह रिपोर्ट 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले 5 वर्षों के लिए लागू होगी। इससे पहले आयोग को 31 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन बाद में इसकी समय सीमा बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी गई थी। अब जब यह रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है, तो यह आने वाले बजट और वित्तीय योजनाओं की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
जमीनी हकीकत जानने के बाद बनी रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए आयोग ने कोई जल्दबाजी नहीं की, बल्कि व्यापक अध्ययन किया है। आयोग की टीम ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया। वहां जाकर उन्होंने स्थानीय सरकारों की वित्तीय जरूरतों, उनकी टैक्स कलेक्शन क्षमता और विकास की स्थिति पर गहन चर्चा की। इस जमीनी दौरे के बाद ही टैक्स शेयरिंग का यह नया फॉर्मूला तैयार किया गया है।
आयोग में शामिल हैं ये दिग्गज
16वें वित्त आयोग की संरचना बेहद मजबूत है। इसके अध्यक्ष प्रसिद्ध अर्थशास्त्र डॉ. अरविंद पनगड़िया हैं। उनके साथ पूर्णकालिक सदस्यों में अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू और अर्थशास्त्री मनोज पांडा शामिल हैं। वहीं, अंशकालिक सदस्यों के रूप में एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष शामिल हैं।
आम आदमी और राज्यों पर असर
वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका मुख्य काम केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन बनाना है। इस रिपोर्ट के लागू होने से सीधा असर यह होगा कि आपके राज्य को विकास कार्यों के लिए केंद्र से कितना पैसा मिलेगा। अगर राज्यों को ज्यादा फंड मिलता है, तो स्थानीय स्तर पर विकास योजनाओं में तेजी आ सकती है। अब अगला कदम केंद्र सरकार का होगा, जो इस रिपोर्ट को लागू करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
जानें पूरा मामला
16वें वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर 2023 को किया गया था। इसका उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच करों (Taxes) के वितरण और राज्यों को दी जाने वाली सहायता के सिद्धांतों को तय करना है। चूंकि 8वें वेतन आयोग की चर्चा भी जोरों पर है, ऐसे में वित्त आयोग की सिफारिशें सरकार की वित्तीय क्षमता और वेतन आयोग पर लिए जाने वाले फैसलों को भी प्रभावित कर सकती हैं, हालांकि वीडियो में सीधे तौर पर वेतन आयोग के नोटिफिकेशन की पुष्टि नहीं की गई है, बस संदर्भ दिया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगड़िया ने राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी।
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यह रिपोर्ट 2026-27 से शुरू होने वाले 5 सालों के लिए लागू होगी।
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आयोग ने सभी राज्यों का दौरा कर उनकी वित्तीय जरूरतों को समझा है।
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रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स और ग्रांट का बंटवारा होगा।






