नई दिल्ली, 18 दिसंबर (The News Air) राज्यसभा में सोमवार को 45 सांसदों को शीतकालीन सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए ध्वनि मत के जरिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया और सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्षी सांसद 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर दोनों सदनों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से विस्तृत बयान देने की मांग कर रहे हैं।
उच्च सदन ने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, के.सी. वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रे, शांतनु सेन और राजद के मनोज कुमार झा सहित कुल 34 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया।
इनके अलावा सांसद प्रमोद तिवारी, अमी याजनिक, नारणभाई जे राठवा, सैयद नसीर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्तिसिंह गोहिल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, सुखेंदु शेखर रे, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाईक, समीरुल इस्लाम, एम. शण्मुगम, एनआर एलांगो, कनिमोझी एनवीएम सोमू, आर गिरिराजन, फैयाज अहमद, वी. शिवदासन, रामनाथ ठाकुर, अनिल प्रसाद हेगड़े, वंदना चव्हाण, राम गोपाल यादव, जावेद अली खान, महुआ माजी, जोस के मणि, अजीत कुमार भुइयां को भी समूचे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
इस बीच 11 राज्यसभा सांसदों के निलंबन का मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया। जिन सांसदों के नाम विशेषाधिकार समिति को भेजे गए हैं, उनमें जे.बी. माथेर हिशाम, एल. हनुमंथैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी.सी. चंद्रशेखर, बिनॉय विश्वम, संदोश कुमार पी., एम मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और एए रहीम शामिल हैं।
45 सांसदों के निलंबन की घोषणा के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कई सदस्य जानबूझकर सभापति की अनदेखी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”व्यवधान के कारण सदन नहीं चल पा रहा है।”
विपक्ष के निलंबन के बाद राज्यसभा को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले दिन में, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सहित 33 सांसदों को समूचे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था।
विपक्षी सांसद संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर अमित शाह के बयान की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सुरक्षा का मसला उन्हीं के मंत्रालय से जुड़ा हुआ है।
संसद की सुरक्षा में सेंधमारी करने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना को साल 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी पर अंजाम दिया गया।