Naxalite Surrender in Bijapur – छत्तीसगढ़ के बीजापुर (Bijapur) जिले में आज एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जहां 19 नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से 9 नक्सलियों पर कुल ₹28 लाख का इनाम था।
बीजापुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) जितेंद्र कुमार यादव ने जानकारी दी कि ये सभी नक्सली माओवादी विचारधारा से मोहभंग होने, वरिष्ठ कैडरों द्वारा निर्दोष आदिवासियों के शोषण और प्रतिबंधित संगठन के भीतर बढ़ते मतभेदों के कारण मुख्यधारा में लौटे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की विकास योजनाओं और सुरक्षा बलों की प्रभावी रणनीतियों के कारण ये आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित हुए।
सुरक्षा बलों के प्रभाव और ‘निया नेल्लनार’ योजना का असर
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव से प्रभावित थे, जिसमें शिविरों की स्थापना और ‘निया नेल्लनार’ (Niya Nellanar – आपका अच्छा गांव) योजना अहम रही। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बल अंदरूनी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं और विकास कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे कई नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
कौन-कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली?
आत्मसमर्पण करने वालों में कुछ कुख्यात नक्सली भी शामिल हैं:
- देवा पदम (Deva Padam) – 30 वर्ष और उनकी पत्नी दूले कालमू (Dule Kalamu) – 28 वर्ष – माओवादियों की बटालियन नंबर 1 में वरिष्ठ सदस्य थे और दोनों पर ₹8-8 लाख का इनाम था।
- सुरेश कट्टम (Suresh Kattam) – 21 वर्ष – एरिया कमेटी का सदस्य था और इस पर ₹5 लाख का इनाम था।
- एक अन्य नक्सली पर ₹2 लाख और पांच नक्सलियों पर ₹1-1 लाख का इनाम था।
DRG, STF, CRPF और कोबरा कमांडो की अहम भूमिका
अधिकारियों के मुताबिक, आत्मसमर्पण करवाने में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), CRPF और इसकी विशिष्ट इकाई कोबरा (COBRA – Commando Battalion for Resolute Action) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सुरक्षा बलों की सतत कार्रवाई और विश्वास बहाली कार्यक्रमों के चलते नक्सली आत्मसमर्पण करने को मजबूर हुए।
सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मिलेगा सहयोग
सरकार की नीतियों के तहत आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को ₹25,000 की तत्काल सहायता दी गई है और उन्हें पुनर्वास योजनाओं का लाभ मिलेगा।
बस्तर में बढ़ रहा आत्मसमर्पण का सिलसिला
बीजापुर जिले में इस साल अब तक 84 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। वहीं, पिछले साल बस्तर (Bastar) क्षेत्र के सात जिलों में कुल 792 नक्सलियों ने सरेंडर किया था।
छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों की रणनीतियों का असर अब दिखने लगा है। नक्सलियों का आत्मसमर्पण यह साबित करता है कि माओवादी विचारधारा कमजोर हो रही है और आदिवासी इलाकों में विकास कार्यों का असर बढ़ रहा है। आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति की उम्मीद की जा सकती है।