AAP Councillor Resignations : आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली नगर निगम (MCD) में एक बड़ी राजनीतिक टूट का सामना करना पड़ा है, जब उसके 13 पार्षदों ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देकर अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ (Indraprastha Vikas Party) बनाने की घोषणा कर दी। इस घटनाक्रम से पार्टी के भीतर असंतोष और भविष्य की राजनीति को लेकर गहन चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
पार्षद हिमानी जैन (Himani Jain) ने जानकारी दी कि अब तक कुल 15 पार्षद इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि फिलहाल 13 पार्षदों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं। इनमें शामिल हैं – मोलरबंद (Molarbund) वार्ड से हेमचंद्र गोयल (Hemchandra Goyal), आदर्श नगर (Adarsh Nagar) से मुकेश गोयल (Mukesh Goyal), वसंत विहार (Vasant Vihar) से हिमानी जैन, बलजीत नगर (Baljit Nagar) से डॉ. रुणाक्शी शर्मा (Dr. Runakshi Sharma), सदर बाजार (Sadar Bazar) से उषा शर्मा (Usha Sharma), विकासपुरी (Vikaspuri) से साहिब कुमार (Sahib Kumar), हस्तसाल (Hastsal) से राखी यादव (Rakhi Yadav), विकास नगर (Vikas Nagar) से अशोक पांडेय (Ashok Pandey), हरि नगर (Hari Nagar) से राजेश कुमार (Rajesh Kumar), रोहिणी बी (Rohini-B) से अनिल राणा (Anil Rana), मयूर विहार फेज-2 (Mayur Vihar Phase-2) से देवेंद्र कुमार (Devendra Kumar), दिनेश (Dinesh) और मनीषा (Manisha)।
इन इस्तीफों के बाद नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पास अब केवल 100 पार्षद बचे हैं, जबकि पहले यह संख्या 113 थी। नई पार्टी की घोषणा करने वाले पार्षद मुकेश गोयल ने बताया कि शनिवार को निगम सचिवालय (Municipal Secretary Office) बंद रहता है, इसलिए वे सोमवार को जाकर अपने फैसले से अधिकारियों को अवगत कराएंगे।
इस राजनीतिक उलटफेर का असर नगर निगम की प्रशासनिक प्रक्रिया पर भी पड़ने वाला है। खासतौर पर 12 वार्डों में होने वाले उपचुनाव, वार्ड समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों के चुनाव और स्थायी समिति (Standing Committee) के रिक्त दो पदों के लिए प्रस्तावित चुनाव अब प्रभावित होंगे। संभावना जताई जा रही है कि सोमवार और मंगलवार को निगम सचिव कार्यालय की ओर से इन चुनावों की नई तिथियां घोषित की जा सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते 22 मई को प्रस्तावित चुनावों को स्थगित किया गया था। अब पार्टी के भीतर हुई इस बड़ी टूट ने न सिर्फ आम आदमी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को झटका दिया है, बल्कि दिल्ली नगर निगम में उनकी स्थिति को भी कमजोर किया है।