भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक कर्मचारी की क्लरिकल ग़लती के कारण ग़लत लाभार्थी के खाते में 1.50 करोड़ रुपये पहुंच गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ एक SBI कर्मचारी की कॉपी-पेस्ट की ग़लती से दलित बंधु वेलफेयर योजना के लिए दिये जाने वाला पैसा लोटस अस्पताल के 15 कर्मचारियों के बैंक खातों में जमा हो गया। लोटस अस्पताल के प्रत्येक कर्मचारी को उनके सैलरी अकाउंट में 10 लाख रुपये मिल गए। जबकि, ये पैसा तेलंगाना सरकार की दलित बंधु कल्याण योजना के लिए था।
15 लोगों को ट्रांसफर किये 1.50 करोड़
हैदराबाद की सैफाबाद पुलिस ने कहा कि SBI की रंगारेड्डी ज़िले की कलेक्ट्रेट ब्रांच के एक कर्मचारी ने 24 अप्रैल को ग़लती से 1.50 करोड़ रुपये ग़लत खातों में ट्रांसफर कर दिए। जिन 15 लोगों के खातों में 10 लाख रुपये आए थे, उनमें से 14 लोगों ने पैसे वापस कर दिए हैं। एक 15वें व्यक्ति महेश नाम के एक लैब टेक्नीशियन ने पैसे वापस नहीं किये हैं।
14 लोगों ने वापिस लौटाए पैसे
हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़ ग़लती का एहसास होने के तुरंत बाद बैंक अधिकारियों ने कर्मचारियों को बुलाया और उन्हें पैसा वापिस ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। 14 कर्मचारियों ने पैसे वापस कर दिए लेकिन 15वें व्यक्ति लैब तकनीशियन महेश पैसे वापस नहीं लौटा पाया क्योंकि वह फ़ोन पर उपलब्ध नहीं था।
एक व्यक्ति ने नहीं दिया पैसा वापिस
महेश ने ग़लती से मान लिया कि उसके बैंक अकाउंट में 10 लाख रुपये किसी सरकारी योजना के तहत ट्रांसफर हुए हैं। उसने कुछ पैसा अपना पिछला क़र्ज़ चुकाने में इस्तेमाल कर लिया। कई बार कहने के बाद भी वह पैसा नहीं लौटा पाया। इसके बाद बुधवार को बैंक अधिकारी ने शिकायत दर्ज़ कराई और महेश के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 403 के तहत मामला दर्ज़ किया गया।
SBI कर्माचारी के ख़िलाफ़ नहीं दर्ज़ किया कोई मामला
सैफाबाद पुलिस ने महेश के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ कर लिया लेकिन SBI कर्मचारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ नहीं किया जिसकी ग़लती के कारण पूरा कंफ्यूजन हुआ। महेश ने 6.70 लाख रुपये लौटा दिए हैं लेकिन अभी भी बैंक का 3.30 लाख रुपये बक़ाया बचा हुआ है। अधिकारी ने कहा कि बैंक कर्मचारी की कॉपी-पेस्ट की ग़लती के कारण इतना बड़ा हंगामा हुआ।