चंडीगढ़, 24 दिसंबर (The News Air): “ठंड ज्यादा क्यों पड़ रही है?” यह सवाल अक्सर लोग ठंड के मौसम के दौरान पूछते हैं। इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कारणों को समझना होगा जो मौसम में बदलाव और ठंड के तापमान में वृद्धि का कारण बनते हैं।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change): आजकल जो जलवायु परिवर्तन (Climate Change) हो रहा है, उसका असर हमारे मौसम पर भी पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अत्यधिक मौसम (extreme weather patterns) का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कुछ क्षेत्रों में असामान्य रूप से ठंड (Cold) भी महसूस हो रही है। यह परिवर्तन हवाओं की गति और समुद्र के धारा में बदलाव की वजह से हो रहा है।
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जेट स्ट्रीम का असर: जेट स्ट्रीम्स, जो कि ऊपरी वायुमंडल में चलती हैं, मौसम में बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाती हैं। जब ये जेट स्ट्रीम्स अपने सामान्य रास्तों से हट जाती हैं, तो ठंडी हवाएँ आर्कटिक क्षेत्रों से नीचे आकर अधिक गर्म क्षेत्रों में ठंड (Cold) का कारण बनती हैं। इस वजह से कुछ क्षेत्रों में अचानक अधिक ठंड महसूस हो सकती है।
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ला नीना (La Nina) घटना: ला नीना, जो एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है, उसके कारण भी अत्यधिक ठंड के मौसम का सामना करना पड़ता है। इस घटना के दौरान, पैसिफिक महासागर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, जिससे कई क्षेत्रों में अधिक ठंड और बारिश होती है।
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ठंडी हवाएँ (Cold Fronts): जब ठंडी हवा के बड़े पैमाने पर बदलाव होते हैं और वे गर्म या समशीतोष्ण क्षेत्रों में प्रवेश करती हैं, तो उसे “ठंडी हवाएँ” कहा जाता है। ठंडी हवाओं के आने से तापमान में अचानक गिरावट हो सकती है, जो ठंड के एहसास को बढ़ा देती है।
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भौगोलिक स्थिति (Geographical Location): कुछ क्षेत्रों में भौगोलिक स्थिति के कारण अधिक ठंड पड़ती है। जैसे पहाड़ी इलाकों और ध्रुवीय क्षेत्रों में पहले से ही ठंड ज्यादा होती है। हालांकि, अगर इन क्षेत्रों में कोई बड़ा मौसम परिवर्तन होता है, तो वहां ठंड का एहसास और भी ज्यादा हो सकता है।
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वायु प्रदूषण (Air Pollution): वायु प्रदूषण भी ठंड का एक अप्रत्यक्ष कारण बन सकता है। जब हवा में प्रदूषक तत्व बढ़ जाते हैं, तो वे बादलों को घना बनाने में मदद करते हैं, जो बारिश और ठंड का कारण बनता है।
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7. ठंडी हवाओं का प्रकोप (Cold Waves)
ठंडी हवाओं का प्रकोप, जो आमतौर पर आर्कटिक या पोलर क्षेत्रों से आती हैं, कुछ मौसमों में भारतीय उपमहाद्वीप में ज्यादा महसूस होती है। जब इन हवाओं की गति तेज होती है, तो तापमान में तेज गिरावट होती है। इन ठंडी हवाओं के असर से सामान्यत: उत्तर भारत में अधिक ठंड पड़ती है, खासकर जनवरी और फरवरी में।
8. सर्दी का बढ़ना और बर्फबारी (Snowfall)
वर्ष 2024 के अंत में कई क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है। बर्फबारी की वजह से हवा और वातावरण में ठंडक बढ़ जाती है। जब बर्फ पिघलती है, तो वह वातावरण में नमी छोड़ती है, जिससे ठंड अधिक महसूस होती है। बर्फबारी के कारण, दिन और रात के तापमान में काफी गिरावट हो सकती है, जिससे सर्दी की स्थिति और बढ़ जाती है।
9. वायुमंडलीय दबाव (Atmospheric Pressure)
वायुमंडलीय दबाव का भी मौसम पर गहरा असर पड़ता है। जब उच्च दबाव वाले क्षेत्र में ठंडी हवाएं होती हैं, तो तापमान में गिरावट का अनुभव अधिक होता है। इस स्थिति में, हवा नीचे की तरफ चलती है, जिससे वातावरण और भी ठंडा हो जाता है।
10. ऊपरी वायुमंडल (Upper Atmosphere) और ध्रुवीय सर्पिल (Polar Vortex)
ध्रुवीय सर्पिल, जो एक प्राकृतिक घटना है, का प्रभाव भी ठंड को बढ़ा सकता है। यह एक अत्यधिक ठंडी हवा का गुच्छा होता है, जो आर्कटिक क्षेत्रों में जमा होता है और जब यह कमजोर होता है, तो यह ठंडी हवा अन्य क्षेत्रों में आ जाती है। इसका असर उन देशों में ज्यादा होता है जो पोलर सर्पिल के निकट होते हैं।
11. प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters) और मौसम का असामान्य व्यवहार
कुछ प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप, तूफान या ज्वालामुखी विस्फोटों का भी मौसम पर प्रभाव पड़ सकता है। यह घटनाएँ वातावरण में धूल और गैसों को फैला सकती हैं, जो बादलों को गाढ़ा बनाती हैं और ठंड का अनुभव बढ़ाती हैं। साथ ही, इन घटनाओं के कारण मौसम का असामान्य व्यवहार भी देखने को मिलता है, जो ठंड की अधिकता का कारण बन सकता है।
12. मानवजनित कारण (Human-induced Factors)
मानव गतिविधियाँ, जैसे कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, वनों की कटाई और शहरीकरण भी मौसम में बदलाव का कारण बनते हैं। जबकि यह आमतौर पर तापमान को बढ़ाता है, लेकिन कभी-कभी यह भी देखा गया है कि इन कारणों के कारण वातावरण में असंतुलन पैदा होता है, जिससे ठंड के मौसम में भी परिवर्तन होता है।
13. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से उत्तरी क्षेत्रों में ठंडी हवा का आना
कुछ परिस्थितियों में, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म हवा की जगह ठंडी हवा उत्तरी क्षेत्रों से नीचे आती है। इससे उन क्षेत्रों में असामान्य ठंड का अनुभव होता है, खासकर अगर हवा की गति और दिशा में बदलाव होता है। इस प्रकार की स्थिति सामान्य नहीं होती, लेकिन कुछ विशेष मौसम स्थितियों में यह देखी जाती है।
14. ठंडी का समाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव
जब ठंड अत्यधिक बढ़ जाती है, तो उसका समाज पर भी असर पड़ता है। जैसे ठंड से उत्पन्न होने वाली बीमारियाँ (खांसी, जुकाम, बुखार, निमोनिया आदि) बढ़ जाती हैं, और गरीब इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह जीवनदायिनी मुश्किल हो सकता है।
ठंड का बढ़ना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक घटनाएँ, मानव गतिविधियाँ, और मौसम के असामान्य पैटर्न का प्रभाव होता है। यह बदलाव किसी एक कारण से नहीं, बल्कि कई कारणों के मेल से होता है। हम सभी को इन बदलावों को समझकर अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि हम अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा का बेहतर ख्याल रख सकें।
इस स्थिति में, यह भी जरूरी है कि हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उपायों को अपनाएं, ताकि भविष्य में हम और अधिक भयंकर ठंड के मौसम से बच सकें।