हर महिला को अपने जीवनकाल में एक उम्र के बाद पीरियड्स शुरू होते हैं. ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. इससे इस बात का पता चल जाता है कि महिला में अंडे बन रहे हैं और आगे चलकर वो मां बन सकती है. अमूमन हर महिला की पीरियड्स की शुरूआत अलग-अलग समय पर होती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पीरियड्स आने 12 से 15 साल की उम्र में शुरू हो जाते हैं. लेकिन पहले के मुकाबले बदलती जीवनशैली के चलते अब बेहद कम उम्र की बच्चियों को पीरियड्स आने शुरू हो रहे हैं ऐसे में केवल 10 साल की उम्र से ही बच्चियों को पीरियड्स आ रहे हैं.
ऐसे में कई बार माता-पिता घबरा जाते हैं क्योंकि जाहिर है इतनी कम उम्र से ही पीरियड साइकिल शुरू होना घबराने वाली स्थिति है क्योंकि इसके लिए बच्चे को मानसिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है साथ ही वो इस स्थिति को अच्छे से संभालने योग्य हो जाए.
क्या है जल्दी पीरियड्स होने की वजहें
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नुपुर गुप्ता बताती हैं कि आज के समय में काफी पेरेंट्स उनके पास इस तरह की स्थिति के साथ आ रहे हैं उनमें इस चीज के प्रति नाराजगी भी दिखाई देती है कि काफी कम उम्र में ही उनकी बच्ची को पीरियड्स आने शुरू हो गए है जबकि वो मानसिक रूप से भी इसके लिए तैयार नहीं है. लेकिन पेरेंट्स को ये समझने की जरूरत है कि मासिक धर्म कई बाहरी और अंदुरूनी परिवर्तनों पर निर्भर करता है. आजकल बच्चों में मोटापा, बाहर का जंक फूड ज्यादा खाना, फिजिकली एक्टिव रहना कई कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
जल्दी पीरियड्स होने के कारण
मोटापा भी बच्चियों में जल्दी पीरियड शुरू होने की एक बड़ी वजह है. आज के दौर में ज्यादातर बच्चे चाइल्डहु़ड ओबेसिटी से पीड़ित हैं और मोटापे की वजह से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. ये हार्मोन महिलाओं के शरीर में होने वाले कई बड़े बदलावों के लिए जिम्मेदार है जिसमें एक पीरियड शुरू होना भी शामिल है. अगर कम उम्र में ही इस हार्मोन में तेजी से बदलाव होने लगे तो लड़कियों को बेहद कम उम्र में ही पीरियड्स आने शुरू हो सकते है.
बाहर का जंकफूड खाना भी इसके कारकों में बड़ी भूमिका निभाता है. आजकल के बच्चे बाहर का जंकफूड ज्यादा खाते हैं ये फूड ज्यादातर प्रोसेस्ड होता है जिससे भी मोटापा और फिर इंसुलिन का स्तर बढ़ता है. ये सभी कारक आपस में एक दूसरे को ट्रिगर करते है.
घरों में प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल भी इसका एक बड़ा कारण है. हम हर चीज में प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं और ये माइक्रो प्लास्टिक के कण किसी न किसी रूप में हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं. प्लास्टिक में बीपीए होता है. जब खाना प्लास्टिक के कंटेनर में गर्म किया जाता है तो ये माइक्रो प्लास्टिक खाने के साथ हमारे पेट में चले जाते हैं जो हमारे हार्मोन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. बीपीए को भी जल्दी पीरियड्स होने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
जल्दी पीरियड्स शुरू होने में जेनेटिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. अगर आपकी मां, नानी को भी पीरियड्स जल्दी आने शुरू हो गए थे तो बच्ची को भी पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं. ये कारक पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं. ऐसे में घबराने की आवश्यकता नहीं है.
ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी भी आज के दौर में बच्चियों में जल्दी पीरियड्स आने का एक कारण है. फिजिकल एक्टिव रहने से बॉडी फिजिकली जल्दी विकसित होती है साथ ही साइकिलिंग, स्वीमिंग कम उम्र में ही शुरू करने से पीरियड्स जल्दी आना शुरू हो जाते हैं लेकिन ये घबराने वाली स्थिति नहीं है.
पेरेंट्स ध्यान रखें
– बच्चे को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार करें
– बच्चे में मोटापे की समस्या न होने दें.
– बाहर के जंक फूड की जगह घर का हेल्दी खाना खाने की आदत डालें.
– घबराएं नहीं, अगर जरूरत हो तो बच्चे की काउंसलिंग डॉक्टर से जरूर करवाएं.