नई दिल्ली, 24 जून (The News Air) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कटक से सात बार लोकसभा सदस्य रहे भर्तृहरि महताब (Bhartruhari Mahtab) को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष (Pro-Tem Speaker) नियुक्त किया है। उन्होंने 18वीं लोकसभा के पहले दिन संसद में सांसदों को पद शपथ दिलाई। भर्तृहरि महताब की नियुक्ति को लेकर विवाद भी चल रहा है।
क्या है महताब की प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्ति पर विवाद?
भर्तृहरि महताब की प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्ति विपक्ष को रास नहीं आई है। विपक्ष का कहना है कि आठ बार सांसद रहे सुरेश को यह पद मिलना चाहिए था। वह दलित नेता हैं। उन्हें नजरअंदाज किया गया है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा ने महताब की नियुक्ति कर सबसे सीनियर सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की परंपरा का पालन नहीं किया है। लोकसभा में परंपरा रही है कि सबसे सीनियर सांसद को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि दलित होने के चलते सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया।
भाजपा ने किया भर्तृहरि महताब की नियुक्ति का बचाव
भाजपा ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में भर्तृहरि महताब की नियुक्ति का बचाव किया है। भाजपा ने कहा है कि सुरेश के विपरीत महताब ने लोकसभा में निर्बाध रूप से काम किया है। सुरेश 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे। उनका वर्तमान कार्यकाल निचले सदन में लगातार चौथा कार्यकाल बन गया है। दूसरी ओर महताब लगातार सात बार सांसद चुने गए हैं।
क्या है प्रोटेम स्पीकर का काम?
प्रोटेम स्पीकर का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। वह नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते हैं। स्थायी अध्यक्ष के चुनाव तक प्रोटेम स्पीकर सदन की कार्यवाही की देखरेख करते हैं। उनकी देखरेख में नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होता है, इसलिए यह पद महत्वपूर्ण हो जाता है।
संविधान के अनुच्छेद 94 के अनुसार नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अध्यक्ष का पद खाली हो जाता है। प्रोटेम स्पीकर नए लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव तक सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं। 17वीं लोकसभा के दौरान वीरेंद्र कुमार को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई गई थी। उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुना था।








