Delhi Blast Terror Module दिल्ली ब्लास्ट मामले की जाँच में सुरक्षा एजेंसियों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने पुलवामा निवासी तफैल नियाज़ भट्ट नाम के एक आतंकी को गिरफ्तार किया है। भट्ट पेशे से एक इलेक्ट्रिशियन है और वह इंडस्ट्रियल स्टेट में काम करता था।
पुलवामा से ‘सफेदपोश’ आतंकी की गिरफ्तारी
तफैल नियाज़ भट्ट की गिरफ्तारी वाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल मामले की चल रही जाँच का हिस्सा है। एसआईए ने उसे हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ शुरू कर दी है। एक स्थानीय सीआईडी अधिकारी के अनुसार, विस्फोट की योजना बनाने में उसकी संलिप्तता के ठोस सबूत मिले हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूछताछ के दौरान कुछ ऐसे सुराग मिले हैं जिनसे यह लगता है कि इस मॉड्यूल में तफैल का रोल पहले समझे गए रोल से कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है। एजेंसियां इस बात की गहराई से जाँच कर रही हैं कि तफैल किन लोगों के संपर्क में था और दिल्ली ब्लास्ट की साजिश में उसका कितना योगदान हो सकता है।
कैसे हुआ पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश?
इस पूरे मॉड्यूल का भंडाफोड़ तब हुआ जब श्रीनगर पुलिस ने अक्टूबर के मध्य में नौगाम की दीवारों पर लगे उन पोस्टरों की जाँच शुरू की, जिनमें पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को चेतावनी दी गई थी।
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श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती के नेतृत्व में हुई जाँच के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से पहले तीन संदिग्धों – आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासीर उल अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया।
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इन संदिग्धों से पूछताछ के बाद मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया, जो एक पूर्व पैरामेडिक था और अब इमाम बन गया है। उस पर पोस्टर उपलब्ध कराने और डॉक्टरों को प्रभावित करने का भी आरोप है।
फरीदाबाद कनेक्शन और विस्फोटक सामग्री की बरामदगी
पुलिस की जाँच फरीदाबाद के अलफला विश्वविद्यालय तक पहुँची, जहाँ डॉक्टर मुजफ्फर गन और डॉक्टर शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। इस कार्रवाई के दौरान 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई। जाँचकर्ताओं का मानना है कि तीन डॉक्टर (जी. उमर नबी), विस्फोटकों से भरी एक कार और फरार मुजफ्फर राठर का एक मुख्य समूह इस मॉड्यूल के पीछे था। यह गिरफ्तारी न केवल दिल्ली में हुई बड़ी साजिश की गुत्थी सुलझा रही है, बल्कि आम नागरिकों को निशाना बनाने वाले इस ‘सफेदपोश’ नेटवर्क को तोड़ने में मदद करेगी, जिससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी।
उरी सेक्टर से AK-47 राइफल बरामद
दिल्ली ब्लास्ट मामले से जुड़ी एक अन्य कार्रवाई में, बारामुला के घंटामुमला की 161 प्रादेशिक सेना बटालियन के एक संयुक्त दल ने बोनियार उरी सेक्टर के दर कुंजन गांव के वन क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान गोला-बारूद सहित एक AK-47 राइफल, दो मैगजीन और 54 राउंड गोला बारूद बरामद किया गया। यह बरामदगी बोनियार के ऊंचाई वाले इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने के उद्देश्य से की गई नियमित तलाशी का हिस्सा थी।
दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट से जुड़े तार
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 10 नवंबर को लाल किला विस्फोट के चार मुख्य षड्यंत्रकारियों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया था, जिससे इस मामले में गिरफ्तारियों की कुल संख्या छह हो गई है। एसआईए और एसओजी की टीमें पहले से ही जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस इंटरस्ट नेटवर्क के बारे में जाँच कर रही थीं और तफैल को पकड़ना इसी कार्रवाई का हिस्सा है। टीमें इस पूरे नेटवर्क को समझने में लगी हुई हैं, जिससे साजिश में शामिल हर व्यक्ति तक पहुंचा जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसआईए ने पुलवामा के इलेक्ट्रिशियन तफैल नियाज़ भट्ट को ‘वाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल’ मामले में गिरफ्तार किया है।
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तफैल पर दिल्ली ब्लास्ट की योजना बनाने में संलिप्तता के ठोस सबूत मिले हैं, और उसका रोल पहले समझे गए रोल से बड़ा हो सकता है।
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इस मॉड्यूल का पर्दाफाश श्रीनगर में दीवारों पर लगे चेतावनी पोस्टरों की जाँच के बाद हुआ, जिसके बाद कई डॉक्टरों सहित अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया।
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जाँच के दौरान फरीदाबाद की अलफला यूनिवर्सिटी से 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी।






