BJP National President Election 2024 : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर असमंजस और इंतजार लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (J.P. Nadda) का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो चुका है, लेकिन अब तक नए अध्यक्ष के नाम पर निर्णय नहीं हो पाया है। हालिया जानकारी के मुताबिक अब अगस्त तक ही इस पर कोई अंतिम फैसला संभव माना जा रहा है। जून का महीना आधा बीतने के बावजूद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), तेलंगाना (Telangana) और महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति भी नहीं हुई है, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा भी टलती जा रही है।
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले देश के कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होना जरूरी होता है। ऐसे में पार्टी फिलहाल प्रदेश इकाइयों की नियुक्ति में ही व्यस्त है और माना जा रहा है कि जुलाई तक यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चा तेज होगी।
इसके अलावा, अध्यक्ष पद को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी विचार-विमर्श जरूरी है। भाजपा नेतृत्व चाहता है कि संघ की सहमति से ही अगला अध्यक्ष तय किया जाए। संघ का रुख हमेशा से ऐसा रहा है कि संगठन की कमान किसी वैचारिक रूप से मजबूत और संघ-प्रशिक्षित (RSS-trained) नेता के हाथों में ही दी जाए। यही वजह है कि अध्यक्ष पद की रेस में जिन नामों की चर्चा हो रही है, वे या तो संघ की पृष्ठभूमि से हैं या लंबे समय से पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जिन नेताओं के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, उनमें शामिल हैं –
शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan), भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav), सुनील बंसल (Sunil Bansal), मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) और दक्षिण भारत से जी. किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy)। इनमें से कई नेता संगठन और सरकार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
भाजपा का लक्ष्य है कि बिहार (Bihar) में आगामी विधानसभा चुनाव नए अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाए। अक्टूबर-नवंबर में होने वाले इस चुनाव के पहले पार्टी को स्पष्ट नेतृत्व देने की योजना है। 2014 में जब अमित शाह (Amit Shah) को कमान सौंपी गई थी या फिर 2020 में जेपी नड्डा (J.P. Nadda) के अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया देखी जाए, तो उसमें बहुत समय नहीं लिया गया था। लेकिन इस बार लोकसभा चुनावों और हरियाणा (Haryana) व महाराष्ट्र (Maharashtra) में चुनावों के कारण प्रक्रिया लगातार टलती गई।
यूपी और एमपी जैसे बड़े राज्यों में अध्यक्ष पद पर नियुक्ति भाजपा के लिए आसान नहीं है। यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) राजपूत समुदाय से आते हैं, ऐसे में संगठनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए ओबीसी वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं मध्य प्रदेश में जहां सीएम बैकवर्ड क्लास से आते हैं, वहां संगठन की कमान किसी सवर्ण नेता को देने की चर्चा है।
आरएसएस का मानना है कि भाजपा को संगठन को और मजबूत करना चाहिए, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे उनके लिए चेतावनी की तरह रहे। ऐसे में पार्टी नए अध्यक्ष के चयन में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है और संघ के साथ पूर्ण सहमति के बाद ही अंतिम नाम पर मोहर लगेगी।






