नई दिल्ली, 27 दिसंबर (The News Air): पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें उनकी सादगी, अर्थशास्त्र में दक्षता, और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है, ने 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। मनमोहन सिंह का कार्यकाल कई ऐतिहासिक फैसलों और घटनाओं से भरा हुआ था। इनमें एक ऐसा मौका भी आया जब उन्होंने पाकिस्तान पर सैन्य हमला करने का विचार किया था, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
जब पाकिस्तान पर हमले का विचार बना: ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान पर हमला करने का मन बनाया था। उन्होंने बताया कि 2011 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद मनमोहन सिंह काफी सख्त रुख अपनाने पर विचार कर रहे थे। कैमरन ने लिखा, “मनमोहन सिंह एक संत पुरुष थे, लेकिन वे भारत के सामने आने वाले खतरों को लेकर बेहद गंभीर और सख्त थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि यदि भारत पर एक और हमला होता है, तो उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी पड़ेगी।”
पृष्ठभूमि: 26/11 के मुंबई आतंकी हमले और 2011 में मुंबई के जावेरी बाजार में हुए बम धमाकों ने भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को चुनौती दी थी। इन घटनाओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, उन्होंने अंततः सैन्य कार्रवाई करने के बजाय कूटनीतिक मार्ग अपनाया, क्योंकि वह भारत को एक युद्ध के मुहाने पर ले जाने से बचाना चाहते थे।
मनमोहन सिंह: एक संत और कठोर निर्णयकर्ता: डॉ. मनमोहन सिंह को शांत और संत स्वभाव का नेता माना जाता था। वे निर्णय लेने में कभी जल्दबाजी नहीं करते थे, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आई, तो उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। डेविड कैमरन ने अपनी किताब में सिंह को एक संत पुरुष की उपाधि दी और बताया कि वे भारत के खतरों के प्रति बेहद सतर्क थे।
पाकिस्तान पर हमला क्यों नहीं हुआ? पाकिस्तान पर हमला न करने का मुख्य कारण था अंतरराष्ट्रीय दबाव और संभावित युद्ध के गंभीर परिणाम। मनमोहन सिंह ने समझा कि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का विकल्प चुना।
मनमोहन सिंह का जीवन और उपलब्धियां: डॉ. मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। उनका जीवन संघर्षों और उपलब्धियों से भरा था। पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से पढ़ाई की। एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके प्रयासों ने 1991 में भारत को आर्थिक संकट से उबारने में मदद की।
कुछ अन्य तथ्य:
- मनमोहन सिंह ने प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया था, लेकिन जल्दी ही उन्होंने इसे छोड़ दिया और अर्थशास्त्र में अपना करियर बनाया।
- उनकी बेटी, दमन सिंह ने उनकी जीवनी में बताया है कि वे कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे।
- उनके निधन पर कांग्रेस ने अपने सभी आधिकारिक कार्यक्रम सात दिनों के लिए रद्द कर दिए हैं।
मनमोहन सिंह का योगदान: मनमोहन सिंह के कार्यकाल को भारत की आर्थिक प्रगति का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने देश को वैश्वीकरण की दिशा में अग्रसर किया। शांत और संत छवि के बावजूद, उन्होंने हमेशा देश के खतरों के प्रति सतर्कता बरती।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और उनके फैसले आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। पाकिस्तान पर हमले का उनका विचार उनकी सख्त सोच और भारत की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, उन्होंने युद्ध के बजाय शांति और कूटनीति का रास्ता चुना, जो उनकी दूरदर्शिता को साबित करता है।