नई दिल्ली, 5 मार्च (The News Air) : सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी के कथित अतिक्रमण से संबंधित मामले में जोरदार बहस हो रही थी। मामले की गहन सुनवाई के दौरान ऐसा मौका आया जब मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई और आम आदमी पार्टी की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट दोनों के चेहरे पर हंसी तैर गई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी से कहा कि उन्हें इस मामले में राजनीतिक दल के लिए पेश नहीं होना चाहिए था।
आपको तो हमारा समर्थन करना चाहिए : सीजेआई ने सिंघवी से हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि इस मामले में आपको पेश नहीं होना चाहिए। आप दिल्ली हाई कोर्ट के लिए जमीन का विरोध नहीं कर सकते। आपको तो हमारा समर्थन करना चाहिए। अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को 15 जून तक दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर जमीन खाली करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह भूमि दिल्ली हाई कोर्ट को अपने बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए आवंटित की गई थी।
तीन जजों की पीठ ने की सुनवाई : चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन-जजों की पीठ ने आम आदमी पार्टी से अपने मुख्यालय के लिए वैकल्पिक भूखंड के लिए भूमि और विकास कार्यालय से संपर्क करने को कहा है। अदालत ने कहा कि वह भूमि एवं विकास कार्यालय से आप के आवेदन पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का अनुरोध करेगी। यह विभाग केंद्र के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है। AAP की ओर से बहस करते हुए, सिंघवी ने कहा कि पार्टी अपने मुख्यालय के लिए एक जमीन की हकदार है। उन्होंने कहा कि AAP देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों में से एक है।
चुनाव से पहले हमें सड़क पर नहीं ला सकते : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंघवी ने कहा, हमें चुनाव से पहले सड़क पर नहीं लाया जा सकता। इस मामले को कुछ राजनीतिक सहयोग के माध्यम से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी को बदरपुर में एक प्लॉट की पेशकश की गई है। वे हमें बता रहे हैं कि एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में, हमें कुछ नहीं मिलता है। हमें बदरपुर दिया गया है, जबकि अन्य दलों को ऑफिस बेहतर स्थानों भी हैं। फिर सभी पार्टियों को बदरपुर में ट्रांसफर कर दिया जाए। इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि आप प्लॉट पाने के लिए हमारे ऑफिस का इस्तेमाल कर हैं। हम इसकी अनुमति कैसे दे सकते हैं? बहस के दौरान सिंघवी ने यह भी कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट उनकी मूल अदालत है। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि उन्हें जगह देने से इनकार किया जाए।