क्या है वो अमेरिका से वो डील, जिसके तहत पनामा ने 130 भारतीयों को किया डिपोर्ट

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नई दिल्ली, 07 सितंबर,(The News Air): डंकी मारकर पनामा पहुंचे 130 भारतीयों को वापस दिल्ली डिपोर्ट किया गया है। ये लोग गैरकानूनी तरीके से जंगल के रास्ते पनामा में घुसने की कोशिश कर रहे थे। पनामा में गैरकानूनी तरीके से घुसने वाले लोगों को पहले भी इसी तरह से डिपोर्ट किया जाता रहा है। पनामा अमेरिका के साथ हुए एक समझौते के तहत ऐसा करता है। आखिर अमेरिका और पनामा के बीच हुआ वौ समझौता क्या है? जिसके तहत दूसरे देशों से डंकी मारकर पनामा जाने वालों को वापस उनके देश भेजा जाता है। इसमें अमेरिका क्यों मदद करता है? आइए बताते हैं।

क्या है अमेरिका-पनामा का ये समझौता?

पनामा और अमेरिका के बीच इस तरह के मामलों के लिए एक समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, पनामा अमेरिका जाने वाले गैरकानूनी प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने में मदद कर रहा है। बदले में, अमेरिका पनामा को आर्थिक मदद दे रहा है। हालांकि यह पहली बार है कि इस समझौते के तहत अमेरिका के बाहर किसी देश में प्रवासियों को वापस भेजा गया है। इससे पहले, पनामा तीन बार प्रवासियों को वापस उनके देश भेज चुका है। अमेरिका ने पनामा को प्रवासियों को वापस भेजने के लिए 6 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का वादा किया है।

अमेरिका को क्या है इस डील का फायदा?

अमेरिका इस समझौते के तहत पनामा की आर्थिक मदद करता है। लेकिन इस डील से अमेरिका को क्या फायदा है? दरअसल पनामा के रास्ते लोग अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते हैं। वे कोलंबिया और पनामा के बीच स्थित दारिएन गैप नामक जंगल को पार करके पनामा में घुसते हैं और फिर वहां से आगे का सफर तय करते हैं। लेकिन यह रास्ता बहुत ही खतरनाक है। इस जंगल में लुटेरे और अपराधी सक्रिय रहते हैं। इसके बावजूद, पिछले साल लगभग 5 लाख लोग इस जंगल को पार करके पनामा पहुंचे थे। इनमें से ज्यादातर लोग वेनेजुएला के थे। अपने देश में गैरकानूनी तरीके से घुसने वाले प्रवासियों को रोकने के लिए अमेरिका ने यह समझौता किया है।

कब हुआ दोनों देशों के बीच समझौता?

अमेरिका अपने यहां होने वाले चुनावों के मद्देनजर पनामा और मेक्सिको जैसे देशों पर दबाव बना रहा है कि वे गैरकानूनी प्रवासियों की समस्या को नियंत्रित करें। जुलाई में हुए समझौते के तहत, पहले चरण में उन प्रवासियों को वापस भेजा जाएगा जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है। लेकिन बाद में, दारिएन गैप को पार करके पनामा में घुसने वाले किसी भी व्यक्ति को वापस भेजा जा सकता है। यह समझौता उसी दिन हुआ था जब पनामा के नए राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने शपथ ग्रहण की थी। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने दारिएन गैप से होने वाले प्रवास को रोकने का वादा किया था।

पनामा से भारत डिपोर्ट की कहानी

पनामा पहले भी कई लोगों को उनके देश डिपोर्ट कर चुका है। लेकिन ऐसा पहली बार है, जब 130 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया है। पनामा के माइग्रेशन डायरेक्टर रोजर मोजिका ने बताया कि इन भारतीयों को एक विशेष विमान से नई दिल्ली भेजा गया है। इस मौके पर अमेरिका के सुरक्षा अधिकारी मार्लिन पिनेरो ने कहा कि अमेरिका इस मदद के लिए पनामा का शुक्रगुजार है। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी तरीके से प्रवास जारी नहीं रह सकता। शुक्रवार को भेजी गई इस खेप के साथ ही, पनामा पिछले दो हफ़्तों में 219 प्रवासियों को उनके देश वापस भेज चुका है।

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