इन दिनों अपने आप को फिट रखने के लिए हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज के साथ ही लोग बहुत से तरीके आजमाते हैं. उन्हीं में से कपिंग थेरेपी भी है. आजकल कई सेलिब्रिटी और बहुत से लोग ये थेरेपी करवाते हैं. ये व्यक्ति की हेल्थ के लिए कई तरीकों से फायदेमंद साबित हो सकती है. आजकल लोग इससे जुड़ी की पोस्ट अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते हैं.
लेकिन कुछ लोगों के मन में अभी भी ये सवाल आता है कि आखिर कपिंग थेरेपी होती क्या है और ये व्यक्ति के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकती है? तो आज हम आपको इस आर्टिकल में कपिंग थेरेपी के बारे में बताने जा रहे हैं.
कपिंग थेरेपी क्या होती है?
वेबएमडी के मुताबिक कपिंग थेरेपी अल्टरनेटिव मेडिसिन का एक प्राचीन रूप है जहां एक थेरेपिस्ट सक्शन पैदा करने के लिए कुछ मिनटों के लिए आपके स्किन पर विशेष तरह के कप रखता है. इसका उद्देश्य ब्लड को आपके शरीर के कुछ हिस्सों से दूर या अंदर खींचना है. कई लोग इसे दर्द और सूजन के राहत पाने के लिए करवाते हैं, तो वहीं कई लोग बॉडी की रिलैक्स महसूस करने और एक तरह के डीप टिश्यू मसाज के लिए करवाते हैं. इस थेरेपी में कांच, बेंबो, मिट्टी के बर्तन, सिलिकॉन या प्लास्टिक के कप का इस्तेमाल किया जाता है.
कपिंग थेरेपी के फायदे
कपिंग थेरेपी के कई फायदे हैं. ये ब्लड डिसऑर्डर जैसे कि एनीमिया और हीमोफीलिया की समस्या में मददगार साबित हो सकती है. साथ ही रूमेटाइड, अर्थराइटिस, फाइब्रो मलेशिया की समस्या, मुहांसों और एक्जिमा से राहत दिलाने में फायदेमंद साबित हो सकती है. इसी के साथ ही ये कमर दर्द और बदन दर्द से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकती है. कपिंग थेरेपी माइग्रेन, हाई ब्लड प्रेशर, एंग्जायटी, डिप्रेशन और वैरिकोज वेन्स के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लिमेंटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ का कहना है कि यह निर्धारित करने के लिए अभी कोई ऐसा शोध नहीं हुआ है जो बता सके कि इन सभी स्थितियों के लिए कपिंग का उपयोग किया जा सकता है या नहीं.
जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल एंड कॉम्प्लिमेंटरी मेडिसिन में 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कपिंग थेरेपी मुँहासे, हर्पीस जोस्टर और दर्द को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि और बेहतर अध्ययन की जरूरत है.
अगर किसी व्यक्ति को कपिंग थेरेपी करवानी भी है तो उन्हें अपने एक्सपर्ट से इसके बारे में सलाह करनी चाहिए. क्योंकि इस थेरेपी के बाद स्किन इंफेक्शन और जलन हो सकती हैं. इसी के साथ इससे स्किन पर निशान भी पड़ते हैं.