West Bengal SIR Row: पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। संविधान दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया को लेकर एक ऐसा दावा कर दिया है, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
कोलकाता के रेड रोड पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के बाद ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि मतदाता सूची के निरीक्षण के नाम पर चल रहा यह ‘SIR’ अभियान दरअसल राज्य में ‘NRC’ (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) लागू करने की एक गुप्त तैयारी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी के इतने सालों बाद भी आम लोगों की नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह क्यों लगाए जा रहे हैं?
‘संविधान खतरे में है’
ममता बनर्जी का गुस्सा सिर्फ SIR तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने संसद भवन में ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारों पर रोक लगाने वाली नई एडवाइजरी पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “जय हिंद” नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा है और जो इससे टकराएगा, वह चूर-चूर हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लोकतंत्र दांव पर हो और संघवाद को कुचला जा रहा हो, तो संविधान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश के इतिहास और भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर पहले से ही तनाव का माहौल है।
भाजपा का पलटवार: ‘डर फैला रही हैं ममता’
ममता बनर्जी के इन गंभीर आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी करारा जवाब दिया है। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने ममता के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि वह राज्य में सांप्रदायिक तनाव फैलाना चाहती हैं।
भट्टाचार्य ने कहा कि SIR केवल मतदाता सूची को अपडेट करने की एक सामान्य तकनीकी प्रक्रिया है, लेकिन ममता बनर्जी इसे NRC का डर दिखाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बंगाल की जनता ने ठान लिया है कि वे राज्य को “पश्चिमी बांग्लादेश” नहीं बनने देंगे और ममता बनर्जी “शाहीन बाग” जैसी स्थिति दोबारा पैदा करना चाहती हैं।
टकराव के नए मोर्चे पर बंगाल
यह पूरा मामला अब केवल बयानों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि एक बड़े राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस इसे बंगाली अस्मिता और नागरिकता पर हमला बताकर जनता को लामबंद कर रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा इसे पारदर्शिता का कदम बता रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा बंगाल की राजनीति में छाया रहेगा। जिस तरह पहले CAA और NRC को लेकर राज्य में व्यापक प्रदर्शन हुए थे, अब SIR को लेकर भी वैसा ही माहौल बनता दिख रहा है। दोनों दल इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
जानें पूरा मामला
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची में गड़बड़ियों को ठीक करना है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस को आशंका है कि इस प्रक्रिया की आड़ में केंद्र सरकार असम की तर्ज पर बंगाल में भी NRC लागू करने की जमीन तैयार कर रही है, जिससे कई वैध नागरिकों के नाम सूची से कट सकते हैं। इसी आशंका के चलते राज्य सरकार और केंद्र के बीच यह नया विवाद खड़ा हो गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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ममता बनर्जी ने दावा किया कि मतदाता सूची संशोधन (SIR) की असली मंशा बंगाल में NRC लागू करना है।
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उन्होंने संसद में ‘जय हिंद’ के नारे पर रोक लगाने की एडवाइजरी का कड़ा विरोध किया।
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भाजपा ने ममता के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह तकनीकी प्रक्रिया को लेकर डर फैला रही हैं।
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यह मुद्दा बंगाल में एक नए राजनीतिक टकराव और चुनावी मुद्दे के रूप में उभर रहा है।






