हम संविधान के सेवक हैं, स्वामी नहीं… सुप्रीम कोर्ट सबके साथ है- CJI DY Chandrachud

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CJI DY Chandrachud

नई दिल्ली, 29 जून (The News Air) : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि न्यायाधीश यह तय नहीं करते कि समाज कैसा होगा. उन्होंने कहा कि हम संविधान के ‘सेवक’ हैं, ‘स्वामी’ नहीं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कोलकाता में न्यायिक अकादमी के कार्यक्रम में भाग लेते हुए अपना संबोधन दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने समकालीन न्यायिक विकास पर अपनी राय रखी और ये भी कहा कि कभी-कभी जज निर्देश देते समय अपनी सोच का भी इस्तेमाल करते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समकालीन शब्द बहुत अहम है. क्योंकि यह उस काम के बारे में बात नहीं करता है जो हमें दिखाई नहीं देता, बल्कि यह शब्द समाज के संदर्भ में बात करता है. उन्होंने कहा कि हम न्यायाधीश के तौर पर अपने काम में अनेक चुनौतियों का सामना करते हैं. इसलिए हम कानून और प्रौद्योगिकी के प्रतिच्छेदन को उन सामाजिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य से देखते हैं.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समकालीन न्याय को एक उदाहरण के जरिए समझाया. उन्होंने कहा कि कई बार न्यायाधीश अविवाहित जोड़ों के मामलों में निजी दृष्टिकोण अपनाते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार न्यायाधीश यह तय करते हैं कि सामाजिक व्यवस्था कैसी होगी. लेकिन न्यायाधीशों को संविधान के नजरिये से सामाजिक व्यवस्था को देखना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कई बार जज घर की गोपनीयता में अंतरधार्मिक विवाह होने की बात सुनने के बाद भी सुरक्षा का आदेश नहीं देते.

अपने संबोधन की शुरुआत में चीफ जस्टिस ने संविधान की नैतिकता पर भी बात की. उन्होंने बताया कि हर भारतीय को अपनी इच्छा के अनुसार रहने का अधिकार है, यही संविधान की नैतिकता का महत्व है. मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के उपयोग के महत्व को भी समझाया. उनका मानना ​​है कि देश के हर शख्स को ये समझना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में है.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इसी के साथ ये भी कहा कि आम लोगों को न्यायिक प्रक्रिया के बारे में जागरूक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता को यह जानने का अधिकार है कि अदालत में मामला दाखिल होने से पहली सुनवाई तक आखिर कितना समय लगता है.

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