Shimla Viral Video : देवभूमि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने चिकित्सा जगत की गरिमा को तार-तार कर दिया है। सोमवार को अस्पताल के वार्ड में इलाज की उम्मीद लेकर लेटे एक मरीज पर डॉक्टर ने बेरहमी से हमला कर दिया। इस घटना ने वहां मौजूद हर शख्स को सन्न कर दिया और अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल रहा है।
Shimla Viral Video
शिमला के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) के वार्ड में जो हुआ, वह किसी डरावनी फिल्म के दृश्य जैसा था। एक मरीज, जो तकलीफ में बेड पर लेटा था, उसके साथ एक सफेद कोट पहने डॉक्टर ने पहले तीखी बहस की और फिर आपा खो बैठा। बात हाथापाई तक पहुंच गई और डॉक्टर ने मरीज पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मरीज डर और घबराहट में खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन डॉक्टर पूरी तरह आक्रामक होकर उस पर टूट पड़ता है। यह दृश्य न केवल डरावना है, बल्कि डॉक्टर-मरीज के पवित्र रिश्ते पर एक बदनुमा दाग भी है।
क्यों हुआ इतना बड़ा बवाल?
पीड़ित मरीज की पहचान कुपवी इलाके के रहने वाले अर्जुन पवार के रूप में हुई है, जो एक शिक्षाविद हैं और पिछले 10-12 सालों से अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, अर्जुन अपनी एंडोस्कोपी जांच के लिए अस्पताल पहुंचे थे। जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी। सांस लेने में तकलीफ और थकान महसूस होने पर अर्जुन पास के ही पल्मोनरी वार्ड में चले गए, जहां एक खाली बेड देखकर वे लेट गए। उस वक्त उन्हें ऑक्सीजन भी लगाई गई थी।
सम्मान मांगने पर मिलीं गालियां और घूंसे
आरोप है कि तभी वहां सीनियर रेजिडेंट डॉ. निकुल राघव अपने एक साथी के साथ पहुंचे। उन्होंने अर्जुन को वहां लेटे देख बेहद अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और पूछा कि वह यहां कैसे आए। मरीज ने जब बताया कि उसे डॉक्टरों ने ही आराम करने को कहा है, तब भी डॉक्टर का गुस्सा शांत नहीं हुआ। जब अर्जुन ने डॉक्टर से कहा कि “आप मुझसे तमीज और प्यार से बात कीजिए, जैसे घर पर करते हैं,” तो डॉक्टर राघव भड़क गए। आरोप है कि इसके बाद डॉक्टर ने ऑक्सीजन सपोर्ट पर लेटे मरीज को घूंसे मारने शुरू कर दिए।
रात के अंधेरे में अस्पताल में हंगामा
वीडियो वायरल होने के बाद मामला इतना बढ़ गया कि देर रात करीब 1:30 बजे मरीज के परिजन और स्थानीय लोग भारी संख्या में अस्पताल पहुंच गए। वहां प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। माहौल उस वक्त और तनावपूर्ण हो गया जब रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) और मरीज के तीमारदार आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक और हाथापाई की नौबत आ गई, जिसे मौके पर मौजूद पुलिस ने बड़ी मुश्किल से संभाला।
पुलिस और सरकार का सख्त एक्शन
मामले की गंभीरता को देखते हुए शिमला पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। वहीं, वीडियो सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी कड़ा संज्ञान लिया और आरोपी डॉक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspend) करने के आदेश दिए। अस्पताल प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जिसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर डॉ. राघव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है और माना जा रहा है कि उन पर बर्खास्तगी जैसी बड़ी गाज भी गिर सकती है।
क्या है पृष्ठभूमि
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी एक प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान है, जहां दूर-दराज से लोग इलाज की उम्मीद लेकर आते हैं। अक्सर सरकारी अस्पतालों में भीड़ और संसाधनों की कमी को लेकर तनाव देखा जाता है, लेकिन एक डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ मारपीट की यह घटना बेहद दुर्लभ और चिंताजनक है। पीड़ित अर्जुन पवार ने साफ कहा है कि वह यहां इलाज कराने आए थे, मार खाने नहीं। उनका कहना है कि अगर ऐसे डॉक्टरों को नौकरी से नहीं निकाला गया, तो वे भविष्य में किसी और मरीज के साथ भी ऐसा ही सुलूक करेंगे।
विश्लेषण: विश्वास की डोर हुई कमजोर
डॉक्टर को समाज में ‘भगवान’ का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि वह जीवन बचाता है। लेकिन शिमला की इस घटना ने इस विश्वास को गहरी चोट पहुंचाई है। एक मरीज, जो पहले से ही शारीरिक पीड़ा में है और ऑक्सीजन के सहारे सांस ले रहा है, उस पर हाथ उठाना किसी भी परिस्थिति में जायज नहीं ठहराया जा सकता। भले ही डॉक्टरों पर काम का दबाव अधिक हो, लेकिन संयम और संवेदना ही इस पेशे की पहचान है। इस घटना ने न केवल एक डॉक्टर की छवि खराब की है, बल्कि पूरे मेडिकल सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या नजीर पेश करता है ताकि भविष्य में कोई रक्षक, भक्षक न बन सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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IGMC शिमला में डॉक्टर ने ऑक्सीजन सपोर्ट पर लेटे मरीज की जमकर पिटाई की।
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वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की और स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर को सस्पेंड किया।
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पीड़ित अर्जुन पवार एक शिक्षक हैं, जो एंडोस्कोपी के बाद आराम कर रहे थे।
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डॉक्टर निकुल राघव पर बदसलूकी और मारपीट का आरोप लगा है, बर्खास्तगी की तलवार लटकी।
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देर रात अस्पताल में परिजनों और रेजिडेंट डॉक्टरों के बीच भारी हंगामा हुआ।






