India-Russia Oil Trade को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की धमकी के बावजूद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस (Russia) से तेल और गैस की खरीद जारी रखेगा। अमेरिका (America) द्वारा 25 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने और रूसी तेल पर पेनल्टी की घोषणा के बाद वाइट हाउस (White House) को उम्मीद थी कि भारत दबाव में आ जाएगा। लेकिन भारत ने न केवल यह दबाव ठुकराया, बल्कि ट्रंप (Trump) के दावों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि भारत ने रूसी तेल लेना बंद कर दिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल (Truth Social) पर ट्रंप ने भारत पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने और उसे बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया। इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs, India) ने कहा कि भारत को निशाना बनाना “अनुचित और अव्यवहारिक” है और वह अपने राष्ट्रीय हितों (national interests) की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा।
भारत के इस सख्त रुख के 5 बड़े कारण इस प्रकार हैं:
1. ट्रंप-भारत-रूस का त्रिकोणिक रिश्ता:
बसव कैपिटल (Basav Capital) के सह-संस्थापक संदीप पांडे (Sandeep Pandey) ने कहा कि अमेरिका ने आईएमएफ (IMF) पर पाकिस्तान को मदद देने से नहीं रोका, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अमेरिका “मित्र” है लेकिन रूस “भाई”। ऐसे में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब भी उसे चुनाव करना होगा, वह भाई (रूस) को प्राथमिकता देगा।
2. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कड़ा रुख:
भारतीय जीडीपी (Indian GDP) का बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। यदि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में कृषि क्षेत्र को खोला गया, तो महंगाई (Inflation) और विकास दर (Growth Rate) जैसे प्रमुख आर्थिक कारक नियंत्रण से बाहर जा सकते हैं। संदीप पांडे के अनुसार, इससे भारत की आर्थिक स्वायत्तता को खतरा हो सकता है।
3. रूस से नैफ्था (Naphtha) आयात:
वाई वेल्थ (Y Wealth) के निदेशक अनुज गुप्ता (Anuj Gupta) के अनुसार, भारत का नेफ्था आयात चीन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज (SMC Global Securities) की वरिष्ठ विश्लेषक सीमा श्रीवास्तव (Seema Srivastava) ने कहा कि इससे सप्लाई चैन में विविधता आएगी और भारत रासायनिक, प्लास्टिक और रक्षा निर्माण क्षेत्रों में लागत कम कर पाएगा।
4. आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली का निर्माण:
भारत रूस से हथियार और तकनीक दोनों लेता रहा है। नेफ्था आयात से फाइटर जेट (Fighter Jets) और ड्रोन्स (Drones) के निर्माण में भारत को फायदा मिलेगा। रूस से रक्षा तकनीक मिलना भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग को मजबूती देगा, जो अमेरिका की चिंता का कारण है।
5. जवाबी टैरिफ और डिजिटल टैक्स की रणनीति:
सेबी (SEBI) से पंजीकृत विश्लेषक अविनाश गोरक्षकर (Avinash Gorakshkar) के अनुसार, भारत अमेरिकी आयात पर जवाबी टैरिफ लागू कर सकता है। इसके अलावा, गूगल (Google), मेटा (Meta), अमेजन (Amazon) जैसे अमेरिकी टेक दिग्गजों पर डिजिटल टैक्स फिर से लगाया जा सकता है, जिससे अमेरिका पर आर्थिक दबाव डाला जा सके।
भारत ने रूस से तेल और नेफ्था आयात को लेकर अमेरिका के दबाव को सिरे से नकार दिया है। भारत का यह रुख केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। यह स्पष्ट है कि भारत अपनी आर्थिक स्वायत्तता, रक्षा उत्पादन और वैश्विक स्थिति के लिए किसी भी विदेशी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।






