Operation Hawkeye Strike के जरिए अमेरिका ने अपनी ताकत का एहसास कराते हुए सीरिया में छिपे ISIS आतंकियों पर कहर बरपाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त आदेश के बाद अमेरिकी सेना ने सीरिया में ISIS के ठिकानों पर भीषण एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया है। यह हमला 13 दिसंबर को अमेरिकी नागरिकों और सैनिकों पर हुए हमले का सीधा जवाब है, जिसमें अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह अपने लोगों की मौत का बदला ‘खून के बदले खून’ से लेगा।
‘ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक’ का आगाज
इस सैन्य कार्रवाई को ‘Operation Hawkeye Strike’ नाम दिया गया है। इसके तहत अमेरिकी सेना ने मध्य सीरिया में ISIS के 70 से ज्यादा ठिकानों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया है। हमले में आतंकियों के छिपने की जगहें (Hideouts), हथियार के भंडार (Weapon Depots) और ट्रेनिंग कैंप्स को निशाना बनाया गया।
पेंटागन ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यह कार्रवाई यहीं रुकने वाली नहीं है। अगर आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए, तो आने वाले दिनों में और भी बड़े हमले किए जाएंगे।
बदले की आग: क्यों हुआ यह हमला?
दरअसल, 13 दिसंबर को सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर एक बड़ा हमला हुआ था। इस कायराना हमले में एक अमेरिकी नागरिक और दो सैनिकों की जान चली गई थी, जबकि तीन अन्य सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस घटना ने अमेरिका को झकझोर कर रख दिया था।
इसके जवाब में अमेरिका ने कसम खाई थी कि वह दुनिया के किसी भी कोने में छिपे हमलावरों को ढूंढ निकालेगा और खत्म कर देगा। यह एयरस्ट्राइक उसी गुस्से और संकल्प का नतीजा है।
हवा से बरसी मौत: किन हथियारों का हुआ इस्तेमाल?
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इस ऑपरेशन में अपनी पूरी सैन्य ताकत झोंक दी। इस एयरस्ट्राइक में अत्याधुनिक और घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया:
-
F-15 Eagle Fighter Jets
-
A-10 Thunderbolt Attack Aircraft
-
AH-64 Apache Helicopters
-
HIMARS Rocket System
इसके अलावा, जॉर्डन के F-16 विमानों ने भी इस अभियान में हिस्सा लिया। इन सभी विमानों ने एक साथ मिलकर आतंकियों के ठिकानों पर बमबारी की और उन्हें मलबे में तब्दील कर दिया।
ट्रंप की चेतावनी: “यह तो बस ट्रेलर है”
इस हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक कड़ा संदेश जारी किया। उन्होंने लिखा, “सीरिया में बहादुर अमेरिकी देशभक्तों की आईएसआईएस द्वारा क्रूर हत्या की गई थी। मैं घोषणा करता हूं कि अमेरिका जिम्मेदार आतंकवादियों पर बहुत गंभीर जवाबी कार्रवाई कर रहा है।”
ट्रंप ने आगे कहा, “हम सीरिया में ISIS के गढ़ों पर जोरदार हमला कर रहे हैं। यह जगह खून से सनी हुई है। अगर आप अमेरिका पर हमला करते हैं या धमकी देते हैं, तो आप पर पहले से कहीं ज्यादा जोरदार हमला किया जाएगा।”
विश्लेषण: सीरिया के साथ बदलते रिश्ते
यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक (Geopolitical) बदलाव का भी संकेत है। बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद अमेरिका और सीरिया के रिश्तों में नरमी आई है। ट्रंप का दावा है कि सीरिया की वर्तमान सरकार भी इस स्ट्राइक का समर्थन कर रही है क्योंकि वे भी अपने देश से ISIS का सफाया चाहते हैं। हाल ही में सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शारा का वॉशिंगटन दौरा भी दोनों देशों के बीच सुधरते संबंधों की गवाही देता है।
जानें पूरा मामला
13 दिसंबर को सीरिया में अमेरिकी बेस पर हमला हुआ था, जिसमें अमेरिकी जान-माल का नुकसान हुआ। इसके प्रतिशोध में अमेरिका ने ‘Operation Hawkeye Strike’ लॉन्च किया। इसका मकसद सीरिया से ISIS के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करना और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
US Air Strike: अमेरिका ने सीरिया में ISIS के 70+ ठिकानों को तबाह किया।
-
यह हमला 13 दिसंबर को अमेरिकी सैनिकों और नागरिक की मौत का बदला है।
-
अभियान में F-15, A-10 Thunderbolt और Apache हेलिकॉप्टर जैसे घातक हथियार इस्तेमाल हुए।
-
राष्ट्रपति ट्रंप ने आतंकियों को चेतावनी दी है कि यह सिर्फ शुरुआत है।






