महाराष्ट्र में लागू करें बिहार मॉडल! उद्धव ठाकरे की जिद,

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मुंबई, 20 सितंबर,(The News Air): लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली महाविकास अघाड़ी अब सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान में है। लोकसभा सीट बंटवारे में कांग्रेस, शरद पवार गुट ने उद्धव ठाकरे सेना को बड़ा भाई माना। लेकिन लोकसभा में ठाकरे उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके। इसके उलट कांग्रेस और शरद पवार गुट का प्रदर्शन अच्छा रहा था। ऐसे में अब देखा जा रहा है कि विधानसभा में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेल रही है।

 
कांग्रेस का दावा सबसे ज्यादा
महाराष्ट्र में विधान सभा की 288 सीटें हैं। कांग्रेस ने 125 सीटों का दावा किया है। लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ने और 13 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। कांग्रेस ने विदर्भ में ज्यादा सीटों की मांग की है। लोकसभा में विदर्भ में कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है। चूंकि कांग्रेस ने विदर्भ की 10 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की है, इसलिए कांग्रेस विदर्भ में अधिक सीटें पाने पर जोर दे रही है।

उद्धव का गणित क्या?
लोकसभा में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने विधानसभा में भी सीटों के आवंटन में दबदबा बनाने की कोशिश की। लेकिन संभावना है कि ठाकरे गुट 95 सीटों पर समझौता कर लेगा। ठाकरे गुट ने प्रस्ताव दिया है कि कांग्रेस को 105 सीटों पर और शरद पवार समूह को 88 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। फिलहाल महाविकास अघाड़ी में 15 से 20 सीटों का अंतर है। इनमें से छह सीटें मुंबई में हैं। इस मतभेद को सुलझाने के लिए शरद पवार गुट के नेता मातोश्री गए हैं।

बिहार मॉडल क्या?

उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र में बिहार मॉडल लागू करने की मांग की है। 2015 में बिहार में महागठबंधन और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के बीच सीधा मुकाबला था। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल को 80 सीटें मिलीं, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू को 71 सीटें मिलीं। चुनाव से पहले ही महागठबंधन ने नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसलिए कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश मुख्यमंत्री बन गए।

उद्धव क्यों चाहते हैं बिहार मॉडल

दरअसल बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव हुए। उस वक्त नीतीश कुमार की जेडीयू बीजेपी के साथ एनडीए में थी। विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 43 और बीजेपी को 74 सीटें मिलीं। एनडीए में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन एनडीए ने मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर नीतीश के नाम की घोषणा कर दी थी। इसलिए 43 सीटें मिलने के बावजूद वह मुख्यमंत्री बन गए। यह बिहार पैटर्न है जो ठाकरे चाहते हैं कि महाराष्ट्र में भी लागू हो। साथ ही उद्धव गुट ने कहा है कि कांग्रेस को अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन ठाकरे की मांग है कि मुख्यमंत्री पद उद्धव सेना को दिया जाना चाहिए।

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