Trump warns countries buying Russian oil : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले देशों को कड़ी चेतावनी दी है। फ्लोरिडा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे देशों पर अमेरिका और भी कठोर दंडात्मक कदम उठाने को तैयार है। यह कदम 21 नवंबर से लागू होने जा रहे हैं, जिसका असर भारत समेत रूसी तेल खरीदने वाले कई देशों पर पड़ सकता है।
ट्रंप एक बार फिर आक्रामक तेवरों में नजर आ रहे हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को के साथ आर्थिक लेनदेन जारी रखने वाले देशों पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है।
‘नया कानून हो रहा तैयार’
फ्लोरिडा के पाम बीच इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने खुलासा किया कि अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद इस समय एक नए कानून का मसौदा तैयार कर रहे हैं।
इस कानून का उद्देश्य उन देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लागू करना है, जो अभी भी मॉस्को के साथ आर्थिक लेनदेन जारी रखे हुए हैं। ट्रंप के मुताबिक, रूस के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार करने वाले देशों को “अत्यंत कड़े दंड” का सामना करना पड़ेगा।
‘ईरान भी अमेरिका की रडार पर’
ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि ईरान को जल्द ही अमेरिका की ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वयं इस नीति को और कठोर बनाने का सुझाव दिया है, जिसमें ईरान का नाम भी शामिल है।
‘रूसी तेल कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई’
इसी कड़ी में, अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों- रोजनेफ्ट (Rosneft) और ल्यूक ऑयल (Lukoil) को भी सख्त प्रतिबंधों के दायरे में ला दिया है।
इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका में दोनों कंपनियों की सभी संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं और अमेरिकी नागरिकों को इनके साथ किसी भी वित्तीय लेनदेन की अनुमति नहीं होगी।
‘पुतिन का पलटवार, कहा- दबाव में नहीं झुकेंगे’
दूसरी ओर, लगातार अमेरिकी दबाव के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने रुख पर अड़े हुए हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि कोई भी स्वाभिमानी राष्ट्र या व्यक्ति दबाव में आकर निर्णय नहीं लेता।
पुतिन ने यह चेतावनी भी दी थी कि यदि अमेरिका प्रतिबंधों को बढ़ाता रहा, तो इससे वैश्विक तेल कीमतों में भारी उछाल आ सकता है और इसका उल्टा प्रभाव अमेरिका पर ही पड़ेगा।
‘भारत पर भी पड़ा असर, टैरिफ दोगुना’
ट्रंप प्रशासन का सख्त रुख केवल रूस तक सीमित नहीं है, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। इससे पहले अमेरिका ने भारत पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था।
लेकिन अगस्त में, ट्रंप ने रूस से तेल और हथियार खरीदने को लेकर भारत पर नाराजगी जताई थी। उनका दावा था कि भारत की यह खरीदारी रूस को आर्थिक मदद उपलब्ध कराती है, जिससे यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा मिलता है। नतीजा यह हुआ कि अमेरिका ने पहले से लागू टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया, जो 27 अगस्त से लागू है।
‘क्या है अमेरिका का अगला कदम?’
ट्रंप प्रशासन द्वारा उठाए गए यह नए कदम 21 नवंबर से लागू होने जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अमेरिका में तैयार किए जा रहे नए कानून से “सेकेंडरी सैंक्शंस” (Secondary Sanctions) के दायरे का विस्तार हो सकता है।
इसका मतलब यह है कि सिर्फ रूस के खिलाफ नहीं, बल्कि उन सभी देशों और संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है, जो प्रतिबंधित रूसी कंपनियों से जुड़े हुए हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वाले देशों को 21 नवंबर से कठोर दंडात्मक कदमों की चेतावनी दी है।
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अमेरिकी सांसद नया कानून बना रहे हैं; ट्रंप ने ईरान को भी ब्लैकलिस्ट करने के संकेत दिए।
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भारत पर पहले से लगा 25% टैरिफ दोगुना कर 50% किया जा चुका है, जो 27 अगस्त से लागू है।
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पुतिन ने पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों से वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका नुकसान अमेरिका को भी होगा।






