Iran Nuclear Site Attack – क्या इजरायल (Israel) ईरान (Iran) के फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (Fordow Fuel Enrichment Plant) जैसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों को अकेले खत्म कर सकता है? यह सवाल इन दिनों अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। इजरायल की स्पष्ट मंशा है कि वह ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को पूरी तरह से खत्म करना चाहता है, लेकिन इसके लिए जिन हथियारों की जरूरत है, वे केवल अमेरिका (USA) के पास मौजूद हैं। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की भूमिका काफी अहम हो जाती है।
इजरायल की कोशिशें और अब तक की नाकामी
हालांकि इजरायल ने पहले भी ईरान के इस परमाणु ठिकाने को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन फोर्डो प्लांट जमीन के काफी नीचे मौजूद है और इसे एक मजबूत सुरक्षा कवच से संरक्षित किया गया है। इजरायल के पास इस तरह की अंडरग्राउंड स्ट्राइक करने वाली क्षमता सीमित है। इसके लिए अमेरिका का GBU-57 Massive Ordnance Penetrator (MOP) बम जरूरी है, जो 30,000 पाउंड का बंकर बस्टर है। यह बम ही फोर्डो जैसे केंद्र को पूरी तरह तबाह कर सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल अमेरिका के नियंत्रण में है।
ट्रंप की दुविधा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह जानकारी दी गई है कि अगर Fordow जैसे ठिकाने को खत्म किया जाता है तो इससे ईरान का न्यूक्लियर हथियार निर्माण कार्यक्रम काफी समय तक थम सकता है। हालांकि, ट्रंप फिलहाल यह देख रहे हैं कि क्या कूटनीतिक बातचीत से तेहरान (Tehran) को उसके परमाणु कार्यक्रम से रोका जा सकता है। उन्होंने अभी तक यह निर्णय नहीं लिया है कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई को समर्थन दिया जाए या नहीं।
क्या इजरायल अकेले उठाएगा बड़ा कदम?
इस बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने यह साफ कर दिया है कि वह अमेरिका की अनुमति का इंतजार नहीं करेंगे। हीब्रू भाषा में दिए एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु ठिकानों को खत्म करने की जिम्मेदारी उनकी सरकार की है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा। नेतन्याहू ने संकेत दिए हैं कि यदि अमेरिका दो सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करता है, तो इजरायल कोई बड़ा और निर्णायक कदम उठा सकता है।
कूटनीति या युद्ध – फैसला बाकी
दुनिया की नजरें अब अमेरिका और इजरायल की अगली रणनीति पर टिकी हैं। जहां अमेरिका बातचीत के जरिये हल निकालने की कोशिश कर रहा है, वहीं इजरायल कार्रवाई के मूड में है। यह टकराव न केवल मध्य-पूर्व बल्कि वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।