US-China Trade War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सभी चीनी आयातों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप का कहना है कि यह फैसला चीन द्वारा दुर्लभ धातुओं (Rare Earth Elements) के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में लिया गया है। यह नया टैरिफ 1 नवंबर 2025 से लागू होगा, जिसके साथ ही अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर (Trade War) छिड़ने के आसार बन गए हैं।
वैश्विक बाजार में हड़कंप
ट्रंप के ऐलान के बाद दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स में भारी गिरावट दर्ज की गई। NASDAQ 3.6% और S&P 500 करीब 2.7% लुढ़क गए — जो अप्रैल के बाद वॉल स्ट्रीट का सबसे खराब दिन रहा।
वर्तमान में अमेरिका चीन से आने वाले सामानों पर पहले से ही 30% शुल्क लगाता है, जबकि चीन अमेरिकी वस्तुओं पर 10% टैक्स वसूलता है। नए 100% शुल्क से दोनों देशों के बीच अधिकांश व्यापार लगभग ठप पड़ सकता है।
चीन की कड़ी नीति और ट्रंप की प्रतिक्रिया
चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ मेटल्स पर निर्यात नियंत्रण सख्त किए हैं। ये धातुएं इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन्स, रक्षा उद्योग और नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर के लिए बेहद अहम हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “यह हैरान करने वाला है कि चीन ऐसा कदम उठाएगा। अब इतिहास खुद लिखा जा रहा है।” उन्होंने कहा कि चीन दुनिया को सप्लाई चेन के जरिए ‘बंधक’ बनाने की कोशिश कर रहा है, जिसका जवाब अमेरिका मजबूती से देगा।
APEC बैठक पर भी संकट के बादल
ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस महीने प्रस्तावित APEC बैठक पर अब अनिश्चितता बढ़ गई है। ट्रंप ने कहा, “मैं शी जिनपिंग से दो हफ्तों में मिलने वाला था, लेकिन अब शायद इसकी जरूरत नहीं है।” हालांकि, उन्होंने बाद में जोड़ा कि बैठक “अभी तय नहीं हुई है लेकिन संभव” है।
बीजिंग की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन चीनी विश्लेषकों ने ट्रंप के इस कदम को “अत्यधिक प्रतिक्रिया” बताया है।
भारत पर असर – महंगी हो सकती हैं Rare Earth आधारित चीजें
भारत भी इस ट्रेड वॉर से अछूता नहीं रहेगा। देश रेयर अर्थ एलिमेंट्स आधारित इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों, रक्षा उपकरणों और ऊर्जा तकनीक के लिए आयात पर निर्भर है।
अगर अमेरिका-चीन तनाव लंबा खिंचता है, तो सप्लाई चेन बाधित हो सकती है और कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इससे भारत की विनिर्माण (Manufacturing) और रक्षा क्षेत्र की लागत बढ़ सकती है।
Rare Earth Elements क्यों हैं इतने अहम?
Rare Earth Elements (REEs) कुल 17 धातुओं का समूह है, जो आधुनिक तकनीकी उपकरणों की रीढ़ हैं। इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, विंड टरबाइन और मिसाइलों में होता है।
वर्तमान में चीन विश्व के लगभग 70% उत्पादन और 90% रिफाइनिंग पर नियंत्रण रखता है। यही कारण है कि किसी भी तरह का चीनी प्रतिबंध या निर्यात नियंत्रण दुनिया की तकनीकी सप्लाई चेन को हिला देता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है गहरा असर
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह टकराव सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा। इससे वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, सप्लाई नेटवर्क टूट सकते हैं और पहले से यूक्रेन व मध्य पूर्व संकट से जूझ रही दुनिया को नई आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
क्रेग सिंगलटन, Foundation for Defense of Democracies के विश्लेषक के अनुसार, “दोनों देश अपने-अपने आर्थिक हथियार निकाल चुके हैं, और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं।”
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के सभी आयातों पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की।
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चीन ने Rare Earth Metals के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे।
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वैश्विक शेयर बाजारों में NASDAQ में 3.6% और S&P 500 में 2.7% की गिरावट।
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भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों की लागत बढ़ने की आशंका।
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APEC बैठक पर अनिश्चितता, दोनों देशों के बीच संवाद ठप पड़ सकता है।






