Iranian Sleeper Cells in USA—ईरान (Iran) और इज़रायल (Israel) के बीच बढ़ते युद्ध के बीच अब अमेरिका (USA) के लिए एक नई और गंभीर चुनौती सामने आ गई है। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को चेतावनी मिली है कि यदि ईरान पर अमेरिकी हमले जारी रहे तो देश के अंदर छिपे ईरानी ‘स्लीपर सेल’ (Sleeper Cells) को सक्रिय किया जा सकता है। यह चेतावनी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को कनाडा (Canada) में हुए G7 समिट के दौरान एक मध्यस्थ के माध्यम से दी गई थी। इस बात की पुष्टि NBC और अन्य स्वतंत्र रिपोर्टों में की गई है।
सवाल यह उठता है कि ‘स्लीपर सेल’ क्या होते हैं? ‘स्लीपर सेल’ दरअसल ऐसे गुप्त एजेंट होते हैं जो किसी देश में आम नागरिकों की तरह जीवन जीते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य समय आने पर जासूसी, आतंकी हमला या तोड़फोड़ करना होता है। रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका में पहले से हिज़बुल्लाह (Hezbollah) जैसे ईरान समर्थित संगठनों से जुड़े संभावित ‘स्लीपर सेल्स’ मौजूद हैं जो सक्रिय होने की प्रतीक्षा में हैं।
इस चेतावनी के बाद व्हाइट हाउस (White House) और एफबीआई (FBI) पूरी तरह सतर्क हो गए हैं। यूएस सीमा सुरक्षा विभाग (CBP) ने भी माना है कि “ईरानी स्लीपर सेल्स का खतरा अब पहले से ज्यादा बढ़ चुका है।” हालांकि अभी तक किसी बड़ी साजिश का सीधा सबूत नहीं मिला है, लेकिन यह भी रिपोर्ट किया गया है कि “हजारों ईरानी नागरिक हाल के महीनों में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं।”
उल्लेखनीय है कि शनिवार को अमेरिका ने ईरान के तीन मुख्य परमाणु ठिकानों—फोर्डो (Fordow), नतांज़ (Natanz) और इस्फहान (Isfahan)—पर बंकर-भेदी बम और मिसाइलों के माध्यम से हमला किया। इस सैन्य कार्रवाई को अमेरिका ने “पूरी तरह सफल” बताया। ईरान की तरफ से इस पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है और उसने कहा है कि यह अमेरिका की ओर से एक खुली युद्ध की घोषणा है।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि ईरान और अमेरिका के बीच संघर्ष केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा तंत्र के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन चुका है। अगर स्लीपर सेल्स सक्रिय हुए तो अमेरिका को अपनी धरती पर भी संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
इस चेतावनी के मद्देनजर अमेरिकी एजेंसियों ने निगरानी और जांच की प्रक्रिया तेज कर दी है, खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां ईरानी प्रवासियों की अधिक जनसंख्या है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और वैश्विक रणनीति दोनों पर प्रभाव डाल सकता है।