TRAI New Rule CNAP के तहत भारत के करोड़ों मोबाइल यूजर्स के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। अगर आप भी दिन भर आने वाले स्पैम और फ्रॉड कॉल्स से परेशान हैं, तो अब यह टेंशन खत्म होने वाली है। सरकार ने देश में एक ऐसी नई सुविधा शुरू कर दी है, जिसके बाद आपके फोन की घंटी बजते ही स्क्रीन पर कॉल करने वाले का बिल्कुल असली नाम दिखाई देगा।
इस नई क्रांतिकारी सुविधा का नाम CNAP यानी ‘कॉलर नेम प्रेजेंटेशन’ (Caller Name Presentation) है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि अब आपको कॉल करने वाले की पहचान जानने के लिए ‘ट्रूकॉलर’ (Truecaller) जैसी किसी भी थर्ड-पार्टी ऐप की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह फीचर सीधे आपके फोन के नेटवर्क से जुड़ा होगा और इनकमिंग कॉल आते ही कॉलर का नाम खुद-ब-खुद स्क्रीन पर आ जाएगा।
ट्राई के आदेश पर कंपनियों ने शुरू की सर्विस
यह सुविधा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के कड़े निर्देशों के बाद शुरू की गई है। देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनियां जैसे रिलायंस जियो (Jio), एयरटेल (Airtel), वोडाफोन आइडिया (Vi) और बीएसएनएल (BSNL) ने इसे भारत के कई राज्यों में लागू भी कर दिया है। यह सुविधा धीरे-धीरे पूरे देश में रोलआउट की जा रही है, जिससे करोड़ों यूजर्स को फायदा होगा।
कैसे पता चलेगा असली नाम?
अब सवाल उठता है कि यह सिस्टम काम कैसे करेगा और जो नाम स्क्रीन पर दिखेगा, वह कितना सही होगा? वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह पूरी तरह से केवाईसी (KYC) पर आधारित होगा। जब कोई व्यक्ति नया सिम कार्ड खरीदता है, तो वह आधार कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेज जमा करता है।
CNAP फीचर उसी सरकारी दस्तावेज में दर्ज असली नाम को आपके फोन स्क्रीन पर दिखाएगा। इसका मतलब है कि अब कोई भी अपनी पहचान छिपाकर या फेक नाम रखकर आपको कॉल नहीं कर पाएगा। यह सिस्टम स्पैम कॉल्स और फ्रॉड करने वालों की पहचान उजागर कर देगा।
वरिष्ठ पत्रकार का विश्लेषण
यह कदम सिर्फ एक मोबाइल सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत बड़ा बदलाव है। अब तक साइबर अपराधी और फ्रॉड करने वाले लोग फर्जी नामों के पीछे छिपकर आसानी से लोगों को अपना शिकार बनाते थे। ट्रूकॉलर जैसी ऐप्स में यूजर अपना नाम बदल सकता था, जिससे उनकी विश्वसनीयता कम हो जाती थी। लेकिन, सरकार के इस ‘केवाईसी-लिंक्ड’ सिस्टम से अपराधियों के लिए छिपना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। यह डिजिटल इंडिया के दौर में निजता (Privacy) और सुरक्षा का एक मजबूत कवच साबित होगा, जो ट्रूकॉलर जैसी विदेशी ऐप्स पर निर्भरता को भी खत्म करेगा।
आम आदमी पर सीधा असर
इस सुविधा का सीधा फायदा देश के हर आम नागरिक को होगा, जो अक्सर बैंक फ्रॉड, लॉटरी के नाम पर ठगी या अनचाही मार्केटिंग कॉल्स से परेशान रहता है। अब फोन उठाते ही पता चल जाएगा कि सामने वाला वास्तव में कौन है, जिससे लोग सतर्क हो सकेंगे और ठगी का शिकार होने से बचेंगे।
ट्रूकॉलर से कैसे अलग है यह सरकारी सिस्टम?
अक्सर लोग इसे ट्रूकॉलर जैसा ही मान रहे हैं, लेकिन दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। वीडियो में स्पष्ट किया गया है कि ट्रूकॉलर पर यूजर अपना नाम खुद बदल सकता है या गलत जानकारी डाल सकता है, जिससे फ्रॉड करने वाले आसानी से बच निकलते थे। वहीं, CNAP पूरी तरह से सरकारी केवाईसी दस्तावेजों पर आधारित है, इसलिए यह सौ प्रतिशत भरोसेमंद और सुरक्षित है।
जानें पूरा मामला
बढ़ते साइबर क्राइम, वित्तीय धोखाधड़ी और स्पैम कॉल्स की शिकायतों को देखते हुए ट्राई ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सुविधा पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू की जा रही है। अगर आपके फोन में अभी यह फीचर नहीं दिख रहा है, तो आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां इसे धीरे-धीरे सभी सर्किल्स में अपडेट कर रही हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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New Feature: भारत में CNAP (कॉलर नेम प्रेजेंटेशन) सुविधा शुरू हो गई है।
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No App Needed: अब असली नाम देखने के लिए ट्रूकॉलर जैसी किसी भी थर्ड-पार्टी ऐप की जरूरत नहीं होगी।
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KYC Based: फोन स्क्रीन पर दिखने वाला नाम सिम लेते समय दिए गए सरकारी दस्तावेजों (KYC) पर आधारित होगा।
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Implementation: जियो, एयरटेल, Vi और बीएसएनएल ने देश के कई राज्यों में इसे लागू कर दिया है।






