Operation Sindoor : भारत (India) द्वारा 7 मई 2025 को चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के तहत पाकिस्तान (Pakistan) और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir, PoK) में आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। यह ऑपरेशन सीधे तौर पर पहलगाम (Pahalgam) आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में किया गया। इस टारगेटेड मिलिट्री स्ट्राइक में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba, LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed, JeM) से जुड़े पांच बड़े आतंकियों को मार गिराया गया।
रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप मारे गए आतंकियों की आधिकारिक सूची जारी की है। इन आतंकियों की पहचान निम्न प्रकार से की गई है:
1. मुदस्सर खडियान खास उर्फ अबू जिंदाल (Mudassir Khadiyan Khas alias Abu Jindal)
यह लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा आतंकी था और इसका मुख्यालय मरकज तैबा, मुरिदके (Markaz Taiba, Muridke) में था। पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) ने इसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया और अंतिम संस्कार में पाक सेना प्रमुख और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज (Maryam Nawaz) मौजूद रहीं। सरकारी स्कूल में नमाज-ए-जनाजा अदा की गई, जिसमें हाफिज अब्दुल रऊफ (Hafiz Abdul Rauf) ने नेतृत्व किया।
2. हाफिज मुहम्मद जमील (Hafiz Muhammad Jameel)
जमील जैश-ए-मोहम्मद का कट्टर आतंकी था और मौलाना मसूद अजहर (Maulana Masood Azhar) का साला भी था। यह बहावलपुर (Bahawalpur) स्थित मरकज सुब्हान अल्लाह का प्रभारी था और मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा था।
3. मोहम्मद यूसुफ अजहर (Mohammad Yusuf Azhar)
जैश से जुड़ा यह आतंकी भी मसूद अजहर का साला था। यह आतंकियों को हथियारों की ट्रेनिंग देने वाला मुख्य प्रशिक्षक था और जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में कई हमलों में शामिल रहा। यह IC-814 विमान अपहरण मामले में भी वांछित था।
4. खालिद उर्फ अबू आकशा (Khalid alias Abu Akasha)
लश्कर-ए-तैयबा का यह आतंकी जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी वारदातों में शामिल रहा और अफगानिस्तान (Afghanistan) से हथियारों की तस्करी में लिप्त था। उसका अंतिम संस्कार फैसलाबाद (Faisalabad) में किया गया, जिसमें पाक सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
5. मोहम्मद हसन खान (Mohammad Hasan Khan)
जैश का यह आतंकी मुफ्ती असगर खान कश्मीरी (Mufti Asghar Khan Kashmiri) का बेटा था, जो PoK में जैश के ऑपरेशनल कमांडर के रूप में कार्यरत था। हसन खान जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के समन्वय में सक्रिय भूमिका निभाता था।
यह ऑपरेशन न केवल पाकिस्तान में आतंक के नेटवर्क को तोड़ने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है, बल्कि इससे यह भी साफ हो गया है कि भारत अब आतंकी गतिविधियों पर चुप नहीं बैठने वाला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस कार्रवाई को लेकर गंभीरता से निगाहें टिकी हैं।