सुनहरे भारत की सुनहरी कहानी लिखने की जिम्मेदारी भी सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बेटियों के कांधे पर ही डाल दी है। घर, परिवार, समाज, अधिकारी, अधिकार से लड़ झगड़ टोकियो के सीने पर तिरंगा का मान सम्मान बढ़ाने के लिए वतन की उम्मीद भरी नजरें एक बार फिर अपनी बेटियों पर आ टीक चुकी है। मल्लेश्वरी ने 21 साल पहले जहाँ छोड़ा था मीरा ने वहीं से लिफ्ट कर मेडल का रंग बदल भारत की चांदी कर दी। चमकती चांदी को पाने के लिए चानू के संघर्ष की कहानी जिसने भी कभी पढी होगी, आँखों में पानी जरूर उतर आया होगा। घर से साठ किलोमीटर रोज रेल से सफर कर जीतने की जिद ने मीराबाई चानू को महान से महानतम् का मान दिला दिया।
एक दिन चानू की ट्रेन छूट गई, घर से साठ किलोमीटर दूर, अनजान शहर में रात गुजारने के लिए छत की तलाश करने लगी, एक मंदिर के कपाट खुले पर महंत ने कहा एक ही कमरा है दूसरे में छत नहीं है। बस आज रात सिर छुपाने की जाग दे दो बिना छत वाले कमरे में ही रह लूंगी। मीरा ने कमरे से ऊपर की ओर निहारा तो खुले आसमान काले बादलों से घिरा मानो मीरा को घूर रहा था, छत पर लोहे का गाटर तो लगा हुआ था लेकिन पैसे की कमी की वजह से पत्थर नहीं रखे गए थे, बूंद बादलों से टपक चानू की परीक्षा लेने तैयार थी, फिर क्या चानू ने आँख दिखा, सारे पत्थर एक एक कर करीने से लोहे पर लगा घर बना लिया और चैन से सो गई चानू, सुबह संत बेटी की हिम्मत देख हैरान रह गए। आज उसी जुनून के घोड़े पर सवार चानू ने 2021ओलंपिक का पहला मेडल जीत देश के नाम कर दिया।
घूसा मार दुनिया जीतने वाली मैरी कॉम का संघर्ष भी किसी से छुपा कहाँ है? पांच बार दुनिया को अपने घूसो के दम पर झुका तिरंगा फहराने वाली मैरी कॉम आज भारत की शान बन मैदान में डटी है। तीन बच्चों की मां मैरी कॉम ने भारत मां की सबसे होनहार बेटी होने का तगमा अपने नाम कर रखा है मैरी को मेडल की खान कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा।
तीरंदाज दीपिका कुमारी ने कभी पेड़ पर लटके आमों पर निशाना साधते हुए अपने निशाने पर दुनिया को रख लिया था। दुनिया जीतने निकली दीपिका ने बांस के धनुष बना जो जीत का दिया जलाया उस रोशनी में दीपिका विश्वविजेता बन सितारे की तरह चमक रही हैं।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान आज कप्तान रानी रामपाल के हाथ में है, जिनके पिता के हाथों में कभी तांगा खींचने वाले घोड़ों की लगाम होती थी। गुरबत से जीत रानी हॉकी उठा नई कहानी लिखने को बेताब दिखी, जीत के रंग में रंगी जिंदगी के जुनून की रानी आज हॉकी के मैदान की रानी हैं। टेबल टेनिस के खेल में चीनी, कोरियाई दम को बेदम करने वाली दिल्ली की मनिका बत्रा की कहानी भी संघर्ष के पन्नों से अटी पड़ी है जीत के लिए सर्वस्व वार देश पर खुद को निसार करने वाली मनिका से भारत को बहुत उम्मीद है। जिमनास्टिक में परिणीति नायक खेलों की नई नायिका बन खेल महाकुंभ में डुबकी लगा मेडल लाने की आस लगाई है। इस नए नायक को खेल का सुनहरा रंग देश और दुनिया ने मान लिया है जिस्म को साधना के सांचे में ढाल, जिम्नास्टिक में मैदान मार तिरंगा फहराएंगे। परिणिति नायक पर यह भरोसा हिंदुस्तान को है।
दक्षिण भारत की भवानी टोक्यो की सरजमीं पर तलवार उठा पूरी दुनिया को ललकार रही हैं। फेंसिंग खेल में पहली भारतीय ओलंपियन होने का गौरव बनी भवानी को इस महा मुकाबले तक लाने के लिए उनकी मां ने गहने गिरवी रखे तो पिता ने पैसे उधार मांग साधन जुटाए। स्कूल की टीम में भवानी के लिए सिर्फ तलवारबाजी में एक जगह मिली थी, इस अवसर को वरदान बना भवानी बांस की तलवार बना खेल की दुनिया के सर्वोच्च मंच पर परिश्रम की पराकाष्ठा से डटी भवानी की कहानी का बेहतरीन रंग है। कुश्ती की दुनिया में विनेश फोगाट धोबी पछाड़ मार दहाड़ती सुनाई देंगी। उम्मीद है दुनिया को चारों खाने चित कर सुनहरा तगमा हिंदुस्तान के नाम करेंगी। शटलर पीवी सिद्धू शान से रैकेट लहरा पहला मैच जीत आगे बढ़ चुकी हैं। ओलंपिक मैडल देश की झोली में पहले ही डालने वाली सिंधू से इंडिया मांग रहा है गोल्ड। सिंधू को जीत के अलावा कुछ और दिखाई ही नहीं देता, उनके इसी जुनून पर हमें नाज है। सानिया मिर्जा टेनिस कोर्ट में देश के लिए पहले भी लड़ी और अब भी टोक्यो में लड़ रही हैं।
ओलंपिक जंग में विजेता बेटियों से मैडल की मुल्क को बहुत है आस है, ये विश्वास है कि जिंदगी को नए संघर्ष के सांचे में खुद को ढाल, पसीने की बूंदों से सजा, यह भारत की बेटियां भारत के शान को नए मुकाम देंगी। आइए दुआ करें जीते बेटियां, जीते भारत। आज बेटियों का वरदान बन जाना साबित करता है कि बेटियां समाज का गहना देश का मान हैं, इन लाडलियों को बचाना, पालना, संभालना, संवारना होगा। क्या खूब कहा है
“बेटियों के लिए भी हाथ उठाओ मंजर,
सिर्फ अल्लाह से बेटा ही नहीं मांगा करते।।”