Kisan Credit Cards (KCC) के जरिए बैंकों के लोन में पिछले साल 24 फीसदी का तेज उछाल देखने को मिला। RBI के डेटा के मुताबिक, केसीसी के जरिए बैंकों का लोन मार्च 2021 में 7.53 लाख करोड़ रुपये था। यह मार्च 2022 में बढ़कर 9.37 लाख करोड़ रुपये हो गया। 24 फीसदी की यह ग्रोथ हैरान करने वाली है। एक्सपर्ट्स इसे बैंकिंग सेक्टर के लिए हाईृ-रिस्क लोन के रूप में देख रहे हैं। इसकी कुछ खास वजहें हैं। मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच केसीसी लोन की ग्रोथ सिर्फ 1.3 फीसदी थी। इससे एक साल पहले यह ग्रोथ सिर्फ 6.5 फीसदी थी। उससे एक साल पहले यानी 2018-19 में यह ग्रोथ करीब 4 फीसदी थी।
केसीसी लोन में उछाल की एक वजह सरकारी बैंकों पर एग्रीकल्चर सेक्टर खासकर किसानों को क्रेडिट बढा़ने का सरकार का दबाव हो सकता है। हर साल केंद्र सरकार बैंकों के लिए एग्री-क्रेडिट के लिए टारगेट तय करती है। इसका ऐलान यूनियन बजट में होता है। यह टारगेट साल दर साल बढ़ रहा है। यूनियन बजट 2023 में सरकार ने कृषि लोन के टारगेट को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
आरबीआई के डेटा के मुताबिक, मार्च 2022 में कृषि सेक्टर को बैंकों का कुल लोन 15.16 लाख करोड़ रुपये था। यह मार्च 2021 में 13.84 लाख करोड़ रुपये था। सरकारी बैंकों को कृषि लोन का टारगेट पूरा करना पड़ता है। सरकारी बैंकों के लिए एक तरह से यह बोझ की तरह है। सबसे ज्यादा दबाव बैंकों की ब्रांच में बैठे एंप्लॉयीज पर होता है। वे यह समझने के बावजूद केसीसी के जरिए लोन देते हैं कि इस पैसे के समय पर वापस की आने की संभावना नहीं है।
बैंकों के प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) के लिए 40 फीसदी टारगेट है। इसमें कृषि लोन शामिल है। सभी बैंकों को पीएसएल के तहत समाज के कमजोर वर्गों कुल क्रेडिट का एक हिस्सा देना अनिवार्य है। पीएसएस के कुल टारगेट में से 18 फीसदी कृषि लोन की हिस्सेदारी होती है। इसलिए बैंकों के लिए पीएसएल के तहत कृषि लोन देना एक अनिवार्यता है। केसीसी के तहत बैंक क्रेडिट की शुरुआत बहुत पहले हुई थी। सरकार ने 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना शुरू किया था।
केसीसी स्कीम के तहत किसानों को एटीएम पर इस्तेमाल होने वाले RuPay Card देती है। इसके लिए सिर्फ एक बार डॉक्युमेंट देने की जरूरत पड़ती है। इसके जरिए किसानों को कम इंटरेस्ट रेट पर पैसा मिलता है। लोन की लिमिट हर साल 10 फीसदी बढ़ती है। इस लोन की वापसी ज्यादातर पार्ट-पेमेंट के जरिए होती है। लेकिन, कई मामलों में लोन के कुल अमाउंट का रिपेमेंट नहीं होता है। इससे लंबी अवधि में काफी लोन एनपीए हो जाते हैं। SBI के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने केसीसी लोन स्कीम में सुधार की जरूरत बताई थी। कई एक्सपर्ट्स ने भी इसे लेकर आगाह किया है। जिस तरह केसीसी के जरिए दिए जाने वाले लोन में वृद्धि दिख रही है, वह बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़े खतरे का संकेत देती है।