Minimum Support Price (MSP) – केंद्र सरकार ने लोकसभा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने को लेकर अपना पक्ष रखा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को संसद में कहा कि सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी फसल की लागत का कम से कम 50% अधिक मूल्य मिले। हालांकि, MSP को कानूनी दर्जा देने को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
किसान आंदोलन और MSP को लेकर सरकार का रुख
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय (Saugata Roy) ने सरकार से पूछा कि क्या वह MSP को कानूनी रूप देने की योजना बना रही है? साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा कि 26 नवंबर 2024 से अनशन पर बैठे किसानों और उनके नेताओं से सरकार ने अब तक कितनी बार बातचीत की है।
इन सवालों के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2018-19 के केंद्रीय बजट में यह सिद्धांत घोषित किया था कि MSP को उत्पादन लागत का 1.5 गुना रखा जाएगा। 2018-19 से अब तक सभी खरीफ, रबी और अन्य व्यावसायिक फसलों की MSP में वृद्धि की गई है, ताकि किसानों को कम से कम 50% लाभ मिल सके।
सरकार द्वारा MSP पर क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) और अन्य राज्य एजेंसियों के माध्यम से अनाज और मोटे अनाज की खरीद का प्रावधान किया है।
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत, दालों, तिलहन और नारियल की खरीद तब की जाती है जब बाजार मूल्य MSP से नीचे चला जाता है।
- इस योजना के तहत, National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Limited (NAFED) और National Cooperative Consumers’ Federation of India Limited (NCCF) जैसी एजेंसियां खरीद प्रक्रिया को अंजाम देती हैं।
- कपास और जूट की खरीद के लिए Cotton Corporation of India (CCI) और Jute Corporation of India (JCI) जिम्मेदार हैं।
किसानों से कितनी बार हुई बातचीत?
केंद्र सरकार ने 8 फरवरी 2024 को किसान नेताओं के साथ पहली बैठक की। इसके बाद:
- 12 फरवरी 2024
- 15 फरवरी 2024
- 18 फरवरी 2024
- 14 फरवरी 2025
- 22 फरवरी 2025
इन तारीखों पर किसान नेताओं और सरकार के बीच MSP को लेकर कई दौर की बातचीत हुई। हालांकि, अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
MSP पर पिछले 10 वर्षों में खरीद के आंकड़े
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2014-15 से 2024-25 (फरवरी 2025 तक) के बीच हुए MSP आधारित खरीद के आंकड़े पेश किए:
- धान (Rice) – 7574.18 लाख मीट्रिक टन, कुल मूल्य ₹14.08 लाख करोड़
- गेहूं (Wheat) – 3057.38 लाख मीट्रिक टन, कुल मूल्य ₹5.65 लाख करोड़
- दालें (Pulses) – 172.47 लाख मीट्रिक टन, कुल मूल्य ₹92.8 हजार करोड़
- तिलहन (Oilseeds) – 121.48 लाख मीट्रिक टन, कुल मूल्य ₹61.8 हजार करोड़
MSP को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए क्या कर रही है सरकार?
जुलाई 2022 में केंद्र सरकार ने एक विशेष समिति का गठन किया था, जिसका उद्देश्य:
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) को अधिक स्वायत्त बनाना।
- MSP प्रणाली को अधिक वैज्ञानिक और पारदर्शी बनाना।
- किसानों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करना।
- MSP को घरेलू और निर्यात बाज़ार के अनुरूप बनाना।
केंद्र सरकार ने MSP को कानूनी गारंटी देने को लेकर स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है, लेकिन किसानों की मांग पर विचार किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि वह किसानों को उनकी लागत पर कम से कम 50% अधिक लाभ देने के लिए लगातार MSP बढ़ा रही है। हालांकि, किसान संगठनों की मुख्य मांग MSP को कानूनी रूप देने की है, जिस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
आने वाले समय में सरकार और किसान संगठनों के बीच और अधिक बैठकें हो सकती हैं, जिससे MSP को लेकर किसी ठोस समाधान तक पहुंचा जा सके।