आर्थिक अपराध (Economic Offence) के दोषियों के लिए सरकार एक नई व्यवस्था बना रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत दोषी साबित हो चुकी कंपनियों और व्यक्तियों को एक यूनिक कोड जारी किया जाएगा, जो PAN और आधार से लिंक्ड होगा। यह कोड अल्फा-न्यूमेरिक होगा, जिसे सिस्टम जेनरेट करेगा। पुलिस या किसी सेंट्रल जांच एजेंसी के दोषी के बारे में नेशनल इकोनॉमिक ऑफेस रिकॉर्ड्स (NEOR) में डेटा फीड करने के बाद यह यूनिक कोड जेनरेट हो जाएगा। अभी एनईओआर ने पूरी तरह से काम करना शुरू नहीं किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी है। उसने मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले यह खबर दी है।
आर्थिक अपराधों के दोषी को यूनिक कोड जारी होने से उस व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ कई एजेंसियों की जांच एक साथ शुरू करने में मदद मिलेगी। अभी जो व्यवस्था है, उसमें एजेंसी को जांच शुरू करने के लिए चार्जशीट फाइल होने का इंतजार करना पड़ता है या प्रोसक्यूशन कंप्लेंट को शेयर करना पड़ता है। इस कोड का नाम ‘यूनिक इकोनॉमिक ऑफेंडर कोड’ होगा। अगर दोषी कोई व्यक्ति होगा तो यह कोड उसके आधार से लिंक्ड होगा। अगर दोषी कंपनी है तो यह कोड उसके पैन से लिंक्ड होगा।
इस व्यवस्था के लागू हो जाने पर आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों में दोषी करार दिए जा चुके सभी लोगों और कंपनियों को यह कोड जारी कर दिया जाएगा। इनमें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, भगोड़े कारोबारी विजय माल्य और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम जैसे हाई प्रोफाइल दोषी भी शामिल होंगे। NEOR एक सेंट्रल रिपॉजिटरी है, जिसमें इस तरह के सभी डेटा स्टोर होंगे। उम्मीद है कि यह अगले 4-5 महीनों में पूरी तरह से काम करने लगेगा। सरकार इस प्रोजेक्ट के बारे में फाइनेंशियल एक्शन टास्ट फोर्स (FATF) की बैठक में बताएगी। यह बैठक इस साल के अंत में होने वाली है। FATC दुनियाभर में आर्थिक अपराधों पर नजर रखने वाली संस्था है।
पिछले कुछ सालों में आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई मामलों में तो दोषियों ने देश छोड़ दिया है। उन्हें वापस देश में लाने की कोशिशें सरकार की तरफ से की जा रही हैं। आर्थिक अपराध से जुड़े कई ऐसे मामले हैं, जिनमें बैंक से लोन लेने में फर्जीवाड़ा किया गया। लोन की रकम भी बैंक को नहीं चुकाई गई।