India Global Delegation on Terrorism : भारत (India) ने आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है। इस बार भारत सरकार ने राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के सात सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने का निर्णय लिया है, जिसमें कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) को भी शामिल किया गया है। यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद और उसकी सीमापार गतिविधियों को दुनिया के सामने लाकर उसे बेनकाब करेगा।
विदेशों में भारत का पक्ष रखने को सात महारथी तैयार
इस प्रतिनिधिमंडल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad), जेडीयू (JDU) के संजय कुमार झा (Sanjay Kumar Jha), बीजेपी (BJP) के बैजयंत पांडा (Baijayant Panda), डीएमके (DMK) की कनिमोझी करुणानिधि (Kanimozhi Karunanidhi), एनसीपी (शरद पवार गुट) [NCP – Sharad Pawar faction] की सुप्रिया सुले (Supriya Sule) और शिवसेना (Shiv Sena – Shinde faction) के श्रीकांत एकनाथ शिंदे (Shrikant Eknath Shinde) शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका (USA), यूके (UK), यूएई (UAE), जापान (Japan), दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा।
कांग्रेस के सुझाए नाम हुए खारिज, फिर भी थरूर को मिली अहम भूमिका
हालांकि, कांग्रेस की ओर से जो नाम प्रस्तावित किए गए थे, उनमें से किसी को इस प्रतिनिधिमंडल में स्थान नहीं मिला। कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने जानकारी दी कि पार्टी की ओर से आनंद शर्मा (Anand Sharma), गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi), सैयद नसीर हुसैन (Syed Naseer Hussain) और राजा बरार (Raja Barar) के नाम भेजे गए थे, जिन्हें शामिल नहीं किया गया। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने खुद शशि थरूर (Shashi Tharoor) को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया, जो यह दर्शाता है कि सरकार राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर सोच रही है।
केंद्रीय मंत्री किरेण रिजिजू (Kiren Rijiju) ने दी एकता की मिसाल
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) ने इस प्रतिनिधिमंडल की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया पर कहा, “महत्वपूर्ण समय में भारत एकजुट है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही हमारे प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे। ये दल आतंकवाद के प्रति भारत की ‘शून्य सहिष्णुता नीति (Zero Tolerance Policy)’ को दुनिया के सामने पेश करेंगे।” यह पहली बार है जब सरकार विपक्षी दलों के नेताओं को साथ लेकर एक साझा विदेश नीति मिशन पर भेज रही है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश नीति का अगला चरण
22 अप्रैल को कश्मीर (Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) शुरू किया था। इस जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया और उसने मिसाइल और ड्रोन अटैक शुरू किए। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया ने उसे और गहरे जख्म दिए। अब भारत इस आतंक की जड़ों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
थरूर की भूमिका क्यों अहम?
शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने पहले भी केंद्र सरकार के फैसलों का समर्थन कर संकेत दिया था कि राष्ट्रीय हित उनके लिए सर्वोपरि है। उनकी तार्किक भाषा, अंतरराष्ट्रीय अनुभव और डिप्लोमैटिक प्रभाव को देखते हुए उन्हें प्रतिनिधिमंडल में अहम स्थान दिया गया है।
भारत सरकार का यह कदम बताता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राजनीतिक सीमाएं बाधक नहीं बनेंगी। ऑपरेशन सिंदूर के अगले चरण में जब भारत के सात महारथी विश्व मंचों पर जाएंगे, तब पाकिस्तान को उसके झूठ और आतंक की राजनीति का वैश्विक उत्तर मिलेगा।